केंद्र सरकार की कृषि नीति समय पर फैसला न लेने के बुरे नतीजों का शिकार हो चुकी है। सरसों बोने वाले किसानों के साथ इस बार कैसे धोखा हुआ है, उसे वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर के नजरिए से समझिए।
इस साल गेहूं का रेकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है लेकिन किसानों को उससे क्या फायदा होगा। सरकार की नीतियां क्या हैं, वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर ने उसी तरफ इशारा किया है।
एथेनाॅल परियोजना से जुड़ा एक तर्क है जो शायद अगले आम चुनाव तक चले। कहा जा रहा है कि इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा?
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा योजना के लिए फंड को लगातार कम क्यों किया जा रहा है? जानिए इस योजना के बारे में पीएम मोदी ने 2015 में क्या कहा था।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का कृषि पर क्या असर होगा, यह गेहूँ की फ़सल पर इस बार साफ़ दिख गया। गेहूँ के दाने सूख गए। तो क्या आगे जल्द ही भुखमरी का संकट आने वाला है?
गेहूं निर्यात पर सरकार की दोगली नीति सामने आई है। एक तरफ उसने गेहूं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए टास्क फोर्स बनाई तो दूसरी तरफ गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में महामारी ने 47 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ली थी। डब्ल्यूएचओ ने उन खबरों की पुष्टि कर दी है जब कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे, ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी।
देश में क्या गरीबी और अमीरी के बीच बढ़ती खाई का ही नतीजा है कि गौतम अडानी दुनिया के सबसे पाँच अमीरों में शामिल हो गए हैं? कोरोना जैसे संकट के बीच अडानी यह उपलब्धि कैसे हासिल कर पाए?
दुनिया के तमाम मुल्क़ महंगाई का दंश झेल रहे हैं। इसका सबसे ज़्यादा असर ग़रीब और मध्यम वर्ग पर हो रहा है। इस बीच रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण हालात और ख़राब हुए हैं।
ओमिक्रॉन की दहशत के बीच मास्क को लेकर जारी की गई चेतावनी का ख़ुद प्रधानमंत्री और बाक़ी बड़े नेता ही पालन न करें तो फिर चेतावनी जारी करने का क्या मतलब है।
सांख्यिकी विभाग ने जब जीडीपी 20.1 फ़ीसदी विकास दर के आँकड़े जारी किए तो एक के बाद एक सभी टीवी चैनलों पर इसे सरकार की उपलब्धि बताया जाने लगा। लेकिन क्या इसे वाक़ई सरकार की उपलब्धि माना जा सकता है?
नेशनल मॉनीटाईजेशन पाइपलाइन से सबसे ज़्यादा पैसा भारतीय रेल से ही मिलेगा, लेकिन यह उसका चरित्र भी बदल देगा। क्या होगा भारतीय रेल का और क्या होगा इसकी रियायतों का, पढ़ें हरजिंदर को।
कोविड-19 के मुफ्त टीके के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करने वाले ऐसे होर्डिंग्स ने कोविड काल में भी प्रचार का कारोबार करने वालों की चांदी कर दी है।
बड़े बदलाव किसी तारीख के मोहताज नहीं होते, लेकिन कुछ तारीखें जरूर ऐसी होती हैं जिन्हें कभी इसीलिए नहीं भुलाया जा सकता कि वहां से बदलाव का कारवां शुरू हुआ था।