प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' और देशभक्ति के सन्दर्भ में बड़ा भाषण दिया है। सोशल मीडिया पर उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। जानिए उन्होंने क्या क्या कहा।
ऑपरेशन सिंदूर को राजनीतिक रूप से भुनाने का आरोप झेल रहे पीएम मोदी ने एक बार फिर अपनी बेबाक शैली में पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। बीकानेर की एक जनसभा में उन्होंने कहा, 'मोदी का दिमाग ठंडा है, लेकिन ख़ून गर्म है... मेरी रगों में सिंदूर बहता है।' पीएम ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को आतंकवाद के खिलाफ नया मानक बताते हुए कहा कि अब कोई भी आतंकी हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसका जवाब मुंहतोड़ होगा। पीएम मोदी ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत अब आतंकवाद और व्यापार को एक साथ नहीं चलने देगा। उन्होंने साफ़ किया कि अगर पाकिस्तान से कोई बात होगी, तो वह केवल आतंकवाद और पीओके के मुद्दे पर होगी। पीएम ने कहा, 'पानी और ख़ून एक साथ नहीं बह सकता।' यह बयान सिंधु जल समझौते को निलंबित रखने की भारत की नीति की ओर इशारा करता है।
मोदी ने आगे कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, यह अब नया नॉर्म है। अगर आतंकी हमला हुआ, तो जवाब तुरंत और कड़ा मिलेगा। न्यूक्लियर हथियार की धमकी अब काम नहीं करेगी।' उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के बीच कोई अंतर नहीं देखेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
पाकिस्तान एक बात भूल गया कि अब मां भारती का सेवक मोदी यहां सीना तानकर खड़ा है। मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा रहता है, लेकिन मोदी का लहू गर्म होता है। अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'पाकिस्तान ने अगर आतंकियों को एक्सपोर्ट करना जारी रखा... तो उसको पाई-पाई के लिए मोहताज होना होगा। पाकिस्तान को भारत के हक का पानी नहीं मिलेगा। भारतीयों के खून से खेलना... पाकिस्तान को अब महंगा पड़ेगा। ये भारत का संकल्प है और दुनिया की कोई ताकत हमें इस संकल्प से डिगा नहीं सकती हैं।'
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को पीएम ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की आक्रामक रणनीति का प्रतीक बताया। सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन 22 अप्रैल के किसी आतंकी हमले का जवाब था, जिसे भारत ने 22 मिनट में नाकाम कर दिया था।
पीएम ने कहा कि यह ऑपरेशन आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की सख़्त नीति का हिस्सा है और अब यह स्थायी रूप से लागू रहेगा। उन्होंने विश्व समुदाय को भी संदेश दिया कि भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा और पाकिस्तान को पीओके लौटाना ही होगा।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सिंधु जल समझौते पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, 'पानी और ख़ून एक साथ नहीं बह सकता।' यह बयान इस बात का संकेत है कि भारत सिंधु जल समझौते को निलंबित रखने की अपनी नीति पर कायम है। इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों का बँटवारा होता है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने आतंकवाद के जवाब में इस समझौते को पुनर्विचार करने की बात कही है। पीएम मोदी ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अब आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती। उन्होंने कहा, 'भारत का मत साफ़ है। हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहे हैं। अगर पाकिस्तान कुछ करता है, तो उसे इसका कड़ा जवाब मिलेगा।' उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब आतंकियों और पाकिस्तानी सेना को अलग-अलग नहीं देखेगा, जिससे भारत की नीति में एक बड़ा बदलाव झलकता है।
प्रधानमंत्री का यह बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए दौर की शुरुआत का संकेत देता है। बीकानेर में दिया गया यह संदेश न केवल पाकिस्तान, बल्कि विश्व समुदाय के लिए भी है। जानकारों का मानना है कि पीएम का यह रुख भारत की सामरिक और कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करता है। खासकर, पीओके को लेकर भारत की स्पष्ट मांग ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया है। पीएम के इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। एक्स पर कई यूजर्स ने इसे भारत की मज़बूत विदेश नीति का प्रतीक बताया है। एक यूजर ने लिखा, 'मोदी जी का यह संदेश स्पष्ट है - अब कोई नरमी नहीं, केवल एक्शन होगा।' वहीं, कुछ अन्य लोगों ने इसे भारत की आक्रामक नीति का हिस्सा बताया, जो क्षेत्रीय स्थिरता पर असर डाल सकता है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल बीजेपी पर इस सैन्य कार्रवाई को चुनावी और राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने का आरोप लगा रहे हैं।
बीजेपी ने ऑपरेशन सिंदूर को एक ऐतिहासिक सैन्य उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया है, जिसे 6-7 मई 2025 की रात को अंजाम दिया गया। पार्टी ने इसे भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फौलादी नेतृत्व का प्रतीक बताया है। पीएम मोदी के ताज़ा बयान को भी ऑपरेशन को राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रवाद से जोड़कर बीजेपी की छवि को और मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी ने तिरंगा यात्रा और प्रचार अभियानों के जरिए इसे जनता के बीच ले जाने की योजना बनाई है, ताकि राष्ट्रवादी भावनाओं को भुनाया जा सके। बीजेपी ने एक्स पर सक्रियता बढ़ाई है, जहां पार्टी के आधिकारिक हैंडल्स ने ऑपरेशन सिंदूर को 'भारत की नीति, नीयत और निर्णायक क्षमता की त्रिवेणी' बताया।
भारतीय रेलवे के टिकटों पर ऑपरेशन सिंदूर और पीएम मोदी की तस्वीर छापने का कदम भी प्रचार का हिस्सा माना जा रहा है, जिसे विपक्ष ने 'सैन्य अभियान का राजनीतिकरण' करार दिया है। जानकारों का मानना है कि बीजेपी इस ऑपरेशन को आगामी बिहार, बंगाल और अन्य राज्यों के चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा बनाना चाहती है।
बीजेपी ने विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए एक व्यापक प्रचार अभियान शुरू करने की योजना बनाई है, जिसमें जनता को सरकार की उपलब्धियां बताई जाएंगी।
विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बीजेपी पर तीखे हमले कर रहा है। विपक्ष का दावा है कि बीजेपी इस सैन्य कार्रवाई को राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर को "राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीतिक सौदा" करार दिया है। राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर आरोप लगाया कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी पहले ही पाकिस्तान को दे दी थी, जिसे बीजेपी ने 'पाकिस्तान की भाषा बोलना' करार दिया। ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का प्रतीक बन सकता था, अब एक राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है। बीजेपी इसे राष्ट्रवाद और अपनी सरकार की ताकत के रूप में पेश कर रही है, जबकि विपक्ष इसे सैन्य शौर्य का राजनीतिक दुरुपयोग बता रहा है। यह सियासी घमासान न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों, बल्कि आगामी चुनावों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।