Rahul Gandhi Adani Modi: नेता विपक्ष राहुल गांधी ने वजह बताई है कि पीएम मोदी के हाथ राष्ट्रपति ट्रंप के सामने क्यों बंधे हैं। उन्होंने इसे अडानी के खिलाफ यूएस में चल रही जांच को बताया है। अडानी ने अडानी पोर्ट के चेयरमैन का पद छोड़ दिया है।
राहुल मोदी अडानी और ट्रंप
अडानी समूह को लेकर कई खबरें आ रही हैं। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार 6 अगस्त को एक्स पर लिखा है कि उद्योगपति अडानी की वजह से पीएम मोदी के हाथ यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने बंधे हैं। राहुल ने इसकी वजह भी बताई है कि ऐसा क्यों है। लेकिन इस बीच गौतम अडानी ने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (एपीएसईज़ेड) के चेयरमैन पद को छोड़ दिया है। हालांकि इस फैसले की वजह कंपनी को और मज़बूती देना बताया गया है।
राहुल गांधी का आरोप: मोदी क्यों हैं मजबूर?
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को एक्स पर भारत के लोगों को सीधे संबोधित करते हुए लिखा- भारत, कृपया समझें: प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति ट्रंप की बार-बार की धमकियों के बावजूद, उनके सामने खड़े नहीं हो पा रहे हैं, इसका कारण अडानी के खिलाफ चल रही अमेरिकी जाँच है। एक धमकी मोदी, एए और रूसी तेल सौदों के बीच वित्तीय संबंधों को उजागर करने की है। मोदी के हाथ बंधे हुए हैं।
(समझा जाता है कि राहुल ने यहां जिस एए का जिक्र किया है- वो अडानी अंबानी है)
राहुल गांधी ने गौतम अडानी और उनकी कंपनी, अडानी ग्रुप, के खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों को 2023 की शुरुआत से जोर-शोर से उठाना शुरू किया। विशेष रूप से, जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद, जिसमें अडानी ग्रुप पर स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए थे। हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च अब बंद हो चुकी है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को संसद और सार्वजनिक मंचों पर उजागर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप को नरेंद्र मोदी सरकार से अनुचित समर्थन मिल रहा है, जिसके कारण कंपनी को बड़े पैमाने पर सरकारी अनुबंध और रियायतें मिलीं। गांधी ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग की और दावा किया कि मोदी सरकार इस मामले की जांच से बच रही है, क्योंकि यह उनके और अडानी के बीच कथित नजदीकी संबंधों को उजागर कर सकता है।
अमेरिकी जांच का क्या है मामला?
2024 में, जब अमेरिका में अडानी के खिलाफ 250 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ, राहुल गांधी ने इसे अपने दावों का सबूत बताया। उन्होंने कहा कि अडानी ने भारतीय और अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन किया, फिर भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही, क्योंकि मोदी उनकी रक्षा कर रहे हैं। गांधी ने दावा किया कि अडानी और मोदी के बीच गहरे वित्तीय और राजनीतिक संबंध हैं, जिसके कारण सरकार इस मामले में कार्रवाई करने से कतराती है।राहुल गांधी को रोकने की कोशिश
मोदी सरकार पर यह भी आरोप है कि वह राहुल गांधी को इस मुद्दे को उठाने से रोकने की कोशिश कर रही है। 2023 में, गांधी को एक मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। कई लोगों ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई के रूप में देखा, क्योंकि यह सजा अडानी मुद्दे को उठाने के बाद आई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया, जिससे वह संसद में लौट सके। इसके बावजूद, सरकार और सत्तारूढ़ दल ने गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे भारत के व्यापारिक हितों और छोटे निवेशकों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।अमेरिका में अडानी के खिलाफ मामला नवंबर 2024 में तब सुर्खियों में आया, जब अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देकर भारत में सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने का आरोप लगाया। इस मामले ने भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया, जिसमें राहुल गांधी और विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला तेज कर दिया। गांधी ने कहा कि यह मामला भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा रहा है और सरकार की चुप्पी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने जेपीसी जांच और अडानी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग दोहराई, जबकि सरकार ने इन आरोपों को आधारहीन बताकर खारिज कर दिया।
अडानी पोर्ट्स से गौतम अडानी का इस्तीफाः गौतम अडानी ने अडानी पोर्ट से इस्तीफा दे दिया है। अडानी समूह ने स्पष्ट किया कि गौतम अडानी को अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (एपीएसईज़ेड) के कार्यकारी अध्यक्ष से गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पुनः नामित करने का फैसला कॉर्पोरेट प्रशासन कानूनों का पालन करने और उन्हें समूह के अन्य व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देने के लिए किया गया था। गल्फ न्यूज ने बताया है कि गल्फ न्यूज को दिया गया स्पष्टीकरण उनके पोस्ट को फिर से तय करने के बाद आया है, जबकि अमेरिका में चल रही कई जांचों के बीच इसके समय को लेकर अटकलें बढ़ रही हैं।
गल्फ न्यूज़ को दिए एक विशेष बयान में, कंपनी ने कहा: "यह बदलाव कंपनी अधिनियम के लागू प्रावधानों का अनुपालन तय करता है, जो प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों को एक साथ एक से अधिक कंपनियों में कार्यकारी पदों पर रहने से रोकता है। "चूँकि APSEZ में पहले से ही दो कार्यकारी निदेशक हैं - एक प्रबंध निदेशक और एक पूर्णकालिक निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी। यह पुनर्नियुक्ति अडानी को अडानी समूह के भीतर अन्य संस्थाओं की रणनीतिक दिशा और विकास पर अधिक ध्यान देने में सक्षम बनाएगी। अडानी APSEZ के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे।"
क्या अडानी की वजह से भारत की कूटनीति प्रभावित हो रही
अडानी मुद्दा भारत-अमेरिका कूटनीति पर प्रभाव डाल रहा है, लेकिन यह प्रभाव जटिल और बहुआयामी है। राहुल गांधी ने 2023 से अडानी ग्रुप के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को उठाना शुरू किया था। नवंबर 2024 में अमेरिका में गौतम अडानी के खिलाफ 250 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने से यह मुद्दा और गहरा गया। विपक्ष खासकर कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अडानी के खिलाफ अमेरिकी जांच के कारण मोदी ट्रंप की धमकियों का जवाब देने में संकोच कर रहे हैं, क्योंकि यह जांच मोदी-अडानी संबंधों को उजागर कर सकती है।2019 में "हाउडी मोदी" और 2020 में "नमस्ते ट्रंप" याद है
मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत दोस्ती की छवि, जैसे 2019 के "हाउडी मोदी" और 2020 के "नमस्ते ट्रंप" आयोजनों से बनी। इसे मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों का प्रतीक बताया गया। हालांकि, ट्रंप ने जुलाई 2025 में भारत पर 25% टैरिफ की घोषणा की और रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त दंड की धमकी दी। यह कदम भारत के रूस के साथ ऐतिहासिक संबंधों और सस्ते तेल आयात की रणनीति पर दबाव डाल रहा है। ट्रंप की यह नीति उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति का हिस्सा है, जो व्यापार घाटे को कम करने और रूस पर दबाव बनाने के लिए है। अडानी मामला इस तनाव को और बढ़ा सकता है, क्योंकि यह भारत की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाता है, जो अमेरिकी नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय है। अगर मोदी ट्रंप के खिलाफ खुलकर उतरते हैं तो अडानी का सवाल सामने आ जाता है।एक पत्रकार की महत्वपूर्ण टिप्पणी
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजू परुलेकर ने एक्स पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। जिसमें उन्होंने लिखा है- अंत की शुरुआत। गौतम अडानी ने देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह संचालक, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (APSEZ) के कार्यकारी अध्यक्ष पद से आधिकारिक तौर पर इस्तीफा दे दिया है। कर्तव्यों का यह पुनर्निर्धारण अमेरिकी अधिकारियों द्वारा बढ़ती कानूनी जाँच और कथित प्रतिबंधों के उल्लंघन और रिश्वतखोरी के दावों को लेकर बढ़ते दबाव के बीच हुआ है।