Gen Z Rahul Gandhi BJP: नेता विपक्ष राहुल गांधी ने Gen Z यानी युवकों से देश बचाने का आह्वान किया है। बीजेपी को इसमें नेपाल जैसे आंदोलन का अक्स नज़र आया। उसके नेता अपना इतिहास पढ़े बिना राहुल के पीछे पड़ गए हैं। जानिए पूरा विवादः
राहुल गांधी के जेन ज़ी आह्वान पर विवाद क्यों
नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को एक ट्वीट किया, जिसमें लिखा था- देश के Yuva, देश के Students, देश की Gen Z
संविधान को बचाएंगे, लोकतंत्र की रक्षा करेंगे और वोट चोरी को रोकेंगे। मैं उनके साथ हमेशा खड़ा हूं। इस ट्वीट में जेन जी का इस्तेमाल हुआ है। यह शब्द हाल में नेपाल में हुए जेन ज़ी की याद दिला रहा है। जहां जेन ज़ी ने सरकार पलट दी। लेकिन बीजेपी को जेन ज़ी के बहाने राहुल गांधी पर हमले का मौक़ा मिल गया। शुक्रवार को सारा दिन बीजेपी नेता राहुल गांधी पर आरोप लगाते रहे कि राहुल भारत में नेपाल जैसी अराजकता पैदा करना चाहते हैं। इसीलिए वे जेन ज़ी को सड़क पर आने को कह रहे हैं।
राहुल के जेन ज़ी ट्वीट के जवाब में बीजेपी ने राहुल गांधी से देश छोड़ने के लिए तैयार रहने को कहा और नेपाल जैसी स्थिति की चेतावनी दी। बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा- भाजपा ने इस टिप्पणी पर राहुल पर तुरंत निशाना साधा। भाजपा सांसद और प्रवक्ता निशिकांत दुबे ने कहा, "राहुल गांधी भारत में गृहयुद्ध भड़काना चाहते हैं। उसी गृहयुद्ध का इस्तेमाल करके राहुल गांधी के दादा नेहरू ने देश का बंटवारा किया था... वह सोरोस फाउंडेशन के साथ मिलकर देश को बांटने का काम कर रहे हैं।"
दुबे ने एक्स पर भी लिखा कि "जेन जेड परिवार की राजनीति के खिलाफ है।" Gen Z परिवार वाद के खिलाफ है। 1.वह नेहरु जी,इंदिरा जी,राजीव जी,सोनिया जी के बाद राहुल जी को क्यूँ बर्दाश्त करेगा?… 2. वह भ्रष्टाचार के खिलाफ है, आपको क्यूँ नहीं भगाएगा? 3. वह बांग्लादेश में इस्लामिक राष्ट्र तथा नेपाल में हिंदू राष्ट्र बनाना चाहता है,वह भारत को हिंदू राष्ट्र क्यूँ नहीं बनाएगा? देश छोड़ने की आप करो तैयारी आ रहे हैं…
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे इतना कर के नहीं रुके। उन्होंने इस मुद्दे पर एएनआई को इंटरव्यू दिया। उस इंटरव्यू को भारतीय मीडिया प्रमुखता से दिखा रहा है और प्रकाशित कर रहा है। शुक्रवार को दुबे ने अपनी टिप्पणी को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हमने कहा कि वे देश के युवाओं के साथ खड़े हैं, और माननीय प्रधानमंत्री भी वंशवादी विचारधारा और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सामाजिक बदलाव के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इस बार, सारी वंशवादी राजनीति बाहर हो जाएगी।"
राहुल गांधी के जेन ज़ी पर बयान देने वाले अकेले निशिकांत दुबे नहीं हैं। अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद समेत ढेरों प्रदेश नेता शुक्रवार को इसी लाइन पर बयान देते रहे कि राहुल गांधी देश में युवकों को भड़काकर अराजकता फैलाना चाहते हैं।
बीजेपी अपना इतिहास क्यों नहीं पढ़ना चाहती
भारत की आज़ादी के पहले बीजेपी-आरएसएस का इतिहास किसी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने का नहीं मिलता है। इसके लिए उन्हें आज भी शहीदे आज़म भगत सिंह, महात्मा गांधी की आड़ लेना पड़ती है। लेकिन आज़ादी के बाद कुछ आंदोलनों में भाजपा की सक्रिय भागीदारी और कुछ जन आंदोलनों को अराजक बताने का इतिहास मौजूद है।
- 1974-75 में जय प्रकाश नारायण ने बिहार से एक सशक्त आंदोलन शुरू किया। जिसे इतिहास में जेपी मूवमेंट के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन के दौरान जेपी ने युवकों, सेना और पुलिस से बग़ावत तक करने को कहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे अराजक आंदोलन कहा और बाद में इमरजेंसी लगा दी थी। इस आंदोलन में बीजेपी-आरएसएस के कई नेता शामिल थे। जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी आदि थे।
- मशहूर फ्रेंच लेखक, इतिहासकार क्रिस्टोफ जाफरलॉट ने 15 जुलाई 2015 में इंडियन एक्सप्रेस में लिखा था कि जेपी मूवमेंट या जय प्रकाश नारायण को ही बीजेपी को मुख्यधारा की राजनीति में लाने का श्रेय जाता है।
अन्ना आंदोलन और बीजेपी
2013 में दिल्ली में निर्भया गैंगरेप और हत्या का मामला सामने आता है। बीजेपी-आरएसएस इसकी आड़ में अन्ना आंदोलन खड़ा करते हैं। लेकिन वो आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा किया गया और जनलोकपाल लाने की मांग की गई। उस समय तक पुराने स्वयंसेवक और आरटीआई एक्टिविस्ट अरविन्द केजरीवाल इस आंदोलन में प्रवेश करते हैं। योग गुरु रामदेव, श्रीरविशंकर आदि इस आंदोलन को समर्थन देते हैं। दिल्ली में एक लाख लोग इंडिया गेट पर जुट जाते हैं। आंदोलन पर आरएसएस का नियंत्रण रहता है। उस समय सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस इसे अराजक आंदोलन कहती है। कुछ दिनों बाद चुनाव होता है। भ्रष्टाचार के कथित आरोपों में घिरी कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हार जाती है। बीजेपी सत्ता में आती है। नरेंद्र मोदी पीएम बन जाते हैं। अन्ना जनलोकपाल की मांग भूल जाते हैं।
- बीजेपी इस आंदोलन में कैसे शामिल थी, यह बात बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे से सुनिए। एएनआई को दिए इंटरव्यू में निशिकांत दुबे ने कहा- ‘‘निर्भया मामले के दौरान 2013 में एक लाख लोग सड़कों पर थे, लेकिन भाजपा ने हिंसा नहीं भड़काने का फैसला किया... राहुल गांधी नेपाल और बांग्लादेश में जो हुआ उससे खुद को जोड़ना चाहते हैं।‘‘
मोदी पर जेन ज़ी का प्रभाव
पीएम मोदी तो खुद जेन ज़ी के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं। आज भी जब तब बोल ही देते हैं। लेकिन 2019 में दोबारा लोकसभा चुनाव जीतने पर पीएम मोदी ने बीजेपी की जीत का श्रेय जेन ज़ी को दिया था। बीजेपी ने एक खास डिजाइन किया हुआ कैंपेन 2019 के चुनाव में चलाया था, जिसका नाम- मोदी युवा शक्ति था। उन्होंने कहा था कि भगवा युवक बीजेपी को सत्ता में फिर से लाए हैं। बीजेपी अकेली पार्टी है, जिसने युवाओं पर फोकस करते हुए दो करोड़ नौकरियां हर साल देने का वादा किया था। यह अलग बात है कि बीजेपी-जेडीयू शासित बिहार में बेरोज़गार युवकों पर लाठियां बरस रही हैं।
किसानों के आंदोलन को अराजक किसने कहा था
2020-21 में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन छेड़ा था। पंजाब-हरियाणा-राजस्थान और पश्चिमी यूपी के किसान दिल्ली की सीमाओं पर आकर बैठ गए थे। इतने लोकप्रिय आंदोलन को बीजेपी नेताओं ने अराजक बताया था। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उस दौरान इसे अराजक बताया था। इसके बाद आरएसएस ने अपनी रिपोर्ट में इसे अराजक आंदोलन बताया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर इनकी निन्दा की थी।
- पंजाब के किसानों को खालिस्तानी आंदोलनकारी बीजेपी के नेताओं ने कहा।
- पीएम मोदी ने उसी दौरान एक कार्यक्रम में और एक पोडकास्ट में आंदोलनजीवी शब्द इस्तेमाल किया था।
- पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री ने अर्बन नक्सल का इस्तेमाल किसान, सीएएए आंदोलनों के संदर्भ में किया था।
सीएए विरोधी और शाहीन बाग आंदोलन
2019-20 में नागरिका संशोधन कानून के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जेएनयू, एएमयू के छात्रों और शिक्षकों ने सीएए विरोधी आंदोलन शुरू किया था। इसी के साथ महिलाओं का शाहीनबाग आंदोलन शुरू हुआ था। शाहीनबाग आंदोलन देश के हर राज्य की राजधानियों और प्रमुख शहरों में शुरू हुआ। उसी दौरान दिल्ली में एक रैली में पूर्व मंत्री और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा था- देश के गद्दारों को, गोली मारो...को। इस नारे पर देशव्यापी प्रतिक्रिया हुई थी। उसी दौरान दिल्ली में भयानक साम्प्रदायिक दंगे हुए थे।
स्थिति अब यह है कि जिस आंदोलन से बीजेपी जुड़ती है, वो राष्ट्रवादी आंदोलन है और जो आंदोलन उसके शासित राज्य में कहीं भी खड़ा होता है तो उसे देशविरोधी आंदोलन घोषित कर दिया जाता है। वक्फ कानूनों के विरोध में जब मुस्लिमों ने कई राज्यों में प्रदर्शन किए तो उसे भी ाृराष्ट्रविरोधी आंदोलन कहा गया।