रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि भारत के पड़ोसी देश का हर इंच ब्रह्मोस मिसाइलों की मारक क्षमता के दायरे में है। उन्होंने ऑपरेशन सिन्दूर को महज एक 'ट्रेलर' करार दिया, जो पाकिस्तान को भारत की ताकत का एहसास दिलाने के लिए काफी था। इस बीच, सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के एक एयरोस्पेस सुविधा केंद्र से स्वदेशी रूप से निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों के पहले बैच को हरी झंडी दिखाई।

यह समारोह लखनऊ के सरोजिनी नगर में स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस के नए एकीकरण और परीक्षण केंद्र में आयोजित किया गया। इस आधुनिक इकाई का उद्घाटन 11 मई को हुआ था, जिसमें मिसाइल एकीकरण, परीक्षण और अंतिम गुणवत्ता जांच के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइलें भारतीय सशस्त्र बलों के लिए तैनाती के लिए तैयार की जाती हैं। राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि इस केंद्र से प्रतिवर्ष लगभग 100 मिसाइलें लॉन्च की जाएंगी, जो भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की सभी तीनों शाखाओं को आपूर्ति की जाएंगी।

ब्रह्मोस मिसाइल: विश्व की सबसे घातक हथियार प्रणाली 

ब्रह्मोस एक दो-चरणीय मिसाइल है, जिसमें ठोस बूस्टर इंजन है। इसमें स्टील्थ तकनीक और उन्नत एम्बेडेड सॉफ्टवेयर से लैस मार्गदर्शन प्रणाली है, जो इसे अनोखा बनाती है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर तक है और यह पूरे उड़ान में सुपरसोनिक गति से चलती है, जिससे लक्ष्य तक कम समय लगता है, लक्ष्य पर कम फैलाव होता है, तेजी से हमला होता है और दुनिया की किसी भी ज्ञात हथियार प्रणाली से इसे रोका नहीं जा सकता।
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ माशिनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर तैयार किया है। यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो अपनी सटीकता, गति और बहुमुखी प्रतिभा के लिए जानी जाती है। ब्राह्ममोस मिसाइल जमीन, हवा, समुद्र और पनडुब्बी के जरिए दुश्मन पर वार करती है।
ब्राह्मोस की सामान्य रेंज: 290 किमी (एमटीसीआर के अनुरूप निर्यात संस्करण) है। जबकि इसकी विस्तारित रेंज: 450–600 किमी (भारतीय सेनाओं के लिए एडवांस संस्करण, 2016 में तैयार हुआ) है। इसका वजन 200-300 किलोग्राम तक है।

इस मिसाइल को कैसे छोड़ा जाता है

जमीन पर मोबाइल लॉन्चर (ट्रक-आधारित, प्रति इकाई 3 मिसाइलें) से छोड़ी जाती है। समुद्र में युद्धपोत (वर्टिकल लॉन्च सिस्टम, जैसे INS विक्रमादित्य) से छोड़ी जा सकती है। हवा में फाइटर विमान (जैसे, Su-30 MKI, एक मिसाइल ले जाने के लिए संशोधित) पनडुब्बी: टारपीडो ट्यूब या वर्टिकल लॉन्च के लिए विकासाधीन है। 
यह मिसाइल जहाजों, बंकरों, हवाई अड्डों और अन्य टारगेट पर हमला करने में सक्षम है। विशेष रूप से नौसेना और तटीय खतरों के खिलाफ भारत की सामरिक क्षमता इससे बढ़ गई है। फिलीपींस को आपूर्ति हो चुकी है। वियतनाम, इंडोनेशिया और अन्य देशों से रुचि दिखाई है।

ब्रह्मोस मिसाइल की गति, सटीकता और कई जगह से लॉन्चिंग क्षमता का संयोजन इसे विश्व की सबसे उन्नत और घातक क्रूज मिसाइल प्रणालियों में से एक बनाता है। इससे भारत की रक्षा क्षमता काफी मजबूत गई है।