टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी
टीएमसी ने अयोध्या न जाने का फैसला पूरी तरह से अपने वोट आधार और पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि के हिसाब से लिया है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाता लंबे समय से ममता बनर्जी की टीएमसी को वोट दे रहे हैं। यहां पर एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ने बहुत कोशिश की लेकिन मुस्लिमों ने उनकी दाल नहीं गलने दी। ममता बनर्जी भी मुस्लिम संगठनों के कार्यक्रमों में खुलकर शामिल होती हैं। इसी रणनीति के तहत टीएमसी ने अयोध्या इवेंट से किनारा किया है। इधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बार-बार सीएए-एनआरसी का मुद्दा उठा रहे हैं। इसको लेकर बंगाल के मुस्लिम चौकन्ने हैं।
सीपीएम ने कहा- यह "सबसे दुर्भाग्यपूर्ण" है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक धार्मिक समारोह को राज्य प्रायोजित (state sponsored) कार्यक्रम में बदल दिया है जिसमें सीधे प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारी शामिल हैं। सीपीएम ने सुप्रीम कोर्ट और संविधान का हवाला देते हुए कहा- भारत में शासन का एक बुनियादी सिद्धांत, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है, यह है कि संविधान के तहत भारत में राज्य का कोई धार्मिक जुड़ाव नहीं होना चाहिए। अयोध्या में कार्यक्रम के आयोजन में सत्तारूढ़ शासन द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है।