विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 4-5 दिसंबर की भारत यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात को रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक परंपरा से हटना और भाजपा की ‘असुरक्षा’ का संकेत बताया।
भारत के नेता विपक्ष राहुल गांधी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बीच एक नया विवाद शुरू हो गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। राहुल ने कहा कि सरकार ने उनकी पुतिन से मुलाक़ात को जानबूझकर रोका, जो भारत की लंबी लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भाजपा मुझसे “असुरक्षित” महसूस करती है। उसी का ये नतीजा है।
संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा, “आमतौर पर परंपरा रही है कि विदेशी मेहमान जब भारत आते हैं तो विपक्ष के नेता से भी उनकी मुलाक़ात होती है। वाजपेयी जी के समय में होता था, मनमोहन जी के समय में होता था। यह परंपरा रही है। लेकिन अब जो हो रहा है, विदेशी मेहमान जब आते हैं या मैं विदेश जाता हूँ तो सरकार उनसे कहती है कि LoP से मत मिलिए। हमें मैसेज मिलता है कि सरकार ने उनसे कह दिया है कि मुझसे नहीं मिलना है।” कारण पूछने पर राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा – “असुरक्षा।”
क्या राहुल सच बोल रहे हैं
पुराने उदाहरण भरे पड़े हैं। पूर्व पीएम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और स्व. डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से विपक्ष के नेता की मुलाक़ात आम बात थी।
- उदाहरण:2007 में सोनिया गांधी की अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से मुलाक़ात
- 2014 में सुषमा स्वराज (तत्कालीन LoP) की कई विदेशी नेताओं से मुलाक़ातें
2014 के बाद यह परंपरा लगभग बंद सी हो गई है। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्ष के नेता को दरकिनार करना भारत को “बहुसंख्यकवादी राज्य” की छवि दे सकता है।
बड़ा सियासी संदर्भ
यह विवाद 2024 चुनाव के बाद से भाजपा और INDIA गठबंधन के बीच बढ़ते तनाव का हिस्सा है। नेता विपक्ष राहुल गांधी लगातार ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं, जिनसे मोदी सरकार असहज महसूस कर रही है। जिसमें अडानी समूह के कथित भ्रष्टाचार की जांच, वोट चोरी मामला प्रमुख है। वोट चोरी की कड़ी में एसआईआर भी जुड़ गया है। संसद के कई सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गए। सरकार ने विपक्ष को तमाम मुद्दों को उठाने की अनुमति ही नहीं दी।
राहुल गांधी का यह आरोप ऐसे समय में आया है जब पुतिन गुरुवार शाम लगभग 4.30 बजे दिल्ली पहुँचेंगे। आगमन के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी उनके लिए एक निजी डिनर का आयोजन करेंगे, जो पिछले साल मास्को में पुतिन द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी के बाद एक पारस्परिक सम्मान है।
शुक्रवार को होने वाली उनकी औपचारिक वार्ता रक्षा सहयोग बढ़ाने, भारत-रूस व्यापार को बाहरी दबाव से बचाने और छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों में सहयोग की संभावनाओं पर केंद्रित होगी। ये सभी वार्ताएँ भारत और अमेरिका के संबंधों में आई उल्लेखनीय गिरावट के बीच हो रही हैं।
इस बीच, कांग्रेस ने सोवियत नेताओं निकोलाई बुल्गानिन और निकिता ख्रुश्चेव की 1955 की भारत यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि आज के भारत-रूस संबंध उस शुरुआती भारत-सोवियत साझेदारी से सीधे जुड़े हैं, जो उस वर्ष के अंतिम महीनों में बनी थी।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा, "ये संबंध और भी पुराने हैं। ठीक 70 साल पहले सोवियत संघ के दो शीर्ष नेता भारत आए थे। निकोलाई बुल्गानिन और निकिता ख्रुश्चेव 18 से 30 नवंबर, 1955 तक और फिर 7 से 14 दिसंबर, 1955 तक 19 दिनों के असाधारण प्रवास के लिए यहाँ रहे थे। इससे छह महीने पहले जवाहरलाल नेहरू की सोवियत संघ यात्रा हुई थी।"
रमेश ने 1955 में सोवियत नेताओं की भारत यात्रा की वीडियो क्लिपिंग भी साझा कीं। उन्होंने आगे कहा, "कुछ साल बाद, तकनीक हस्तांतरण के साथ, एचएएल द्वारा मिग विमानों का निर्माण किया जाने लगा। इस यात्रा ने ओएनजीसी और आईडीपीएल जैसी कई अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के भविष्य को आकार देने में भी मदद की, जिससे निजी उद्यमों को बढ़ावा मिला।" रूसी राष्ट्रपति शुक्रवार रात लगभग 9.30 बजे भारत से रवाना होंगे, जिसके साथ उनकी लगभग 28 घंटे की यात्रा समाप्त हो जाएगी।