लाल क़िले के पास हुए धमाके ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिल्ली जैसे उच्च सुरक्षा क्षेत्र में ब्लास्ट होना सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों पर सवाल उठाता है। क्या यह आतंकी साजिश थी या खुफिया चूक? देखिए आशुतोष की बात में विश्लेषण।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।






















