केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को 'संचार साथी' (Sanchaar Saathi) पर हो रहे विरोध और जासूसी के डर को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने इसे साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए एक वैकल्पिक मोबाइल एप्लिकेशन बताते हुए कहा कि उपयोगकर्ता इसे डिलीट करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन मंत्री सिंधिया पर विश्वास करना मुश्किल है। विशेषज्ञ और लोग सवाल उठा रहे हैं।
हालाँकि, मंत्री का बयान आने के बाद इंटरनेट पर लोगों ने तुरंत बताया कि मंत्री का यह बयान उस सरकारी निर्देश का खंडन करता है, जिसमें कहा गया है कि ऐप को अक्षम (disabled) या प्रतिबंधित (restricted) नहीं किया जा सकता है।
संचार मंत्रालय द्वारा जारी एक परिपत्र (circular) के खंड 7 (b) का हवाला देते हुए, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने सवाल किया कि दोनों में से किसे सही माना जाना चाहिए - मंत्री के बयान को या आधिकारिक निर्देश को?
सरकार ने पिछले सप्ताह मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं और इंपोर्ट करने वालों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि भारत में इस्तेमाल के लिए बनाए या आयात किए गए सभी नए मोबाइल हैंडसेट में 90 दिनों के भीतर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने वाला ऐप, संचार साथी प्री-इंस्टॉल हो।
इस कदम ने बड़े पैमाने पर विरोध को जन्म दिया, कई लोगों ने संभावित सरकारी निगरानी (state surveillance) और दुरुपयोग (misuse) पर चिंता जताई। विपक्ष ने इसे सरकार द्वारा "भारत को तानाशाही की ओर धकेलने" का संकेत बताया, और देश को वास्तविक तानाशाही (de facto dictatorship) में बदलने का आरोप लगाया।

मंत्री का स्पष्टीकरण और विरोधाभास

विरोध के बाद, दूरसंचार मंत्री ने कहा, "यदि आप इसे सक्रिय करना चाहते हैं, तो करें। यदि आप इसे सक्रिय नहीं करना चाहते हैं, तो न करें। यदि आप चाहें तो इसे हटा दें (Delete)। यह पूरी तरह से आपकी पसंद है।" हालाँकि, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने तुरंत बताया कि मंत्री की टिप्पणियाँ उनके मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक सरकुलर के कंटेंट से मेल नहीं खाती हैं। 

दूरसंचार (टेलीकॉम साइबर सुरक्षा) नियम, 2024 के तहत दिए गए निर्देश का खंड 7(b) कहता है: "सुनिश्चित करें कि प्री-इंस्टॉल किया गया 'संचार साथी' एप्लिकेशन पहले इस्तेमाल या डिवाइस सेटअप के समय अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए आसानी से दिखे और सुलभ हो। इसकी कार्यक्षमताओं को अक्षम (Disable) या प्रतिबंधित (Restricted) न किया जाए।"

संचार साथी का विरोध और मांगें

डिजिटल अधिकार वकालत संगठन, इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन (IFF) ने विरोधाभास बताते हुए मंत्री की टिप्पणियों का खंडन किया, कहा कि "स्पष्टीकरण गलत है" और आधिकारिक निर्देश स्पष्ट रूप से कहता है कि संचार साथी को "अक्षम या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है"।

क्या सरकार ने निर्देश वापस ले लिया?

इंटरनेट स्वतंत्रता कार्यकर्ता और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ निखिल पाहवा ने कहा कि मंत्री से पूछा जाना चाहिए कि क्या निर्देश वापस ले लिया गया है या अभी भी प्रभावी है। उन्होंने ट्वीट किया, "संचार साथी पर सिंधिया के वीडियो/बयान को ट्वीट करने वाले न्यूज़ चैनलों से, कृपया उनसे पूछें कि क्या निर्देश वापस लिया जा रहा है। निर्देश (पॉइंट 7बी देखें) कहता है कि यह अनिवार्य है, अक्षम नहीं किया जा सकता। अभी तक कोई वापसी नहीं हुई है।"

राजनीतिक विश्लेषक राजू पारुलकर ने इस पर ट्वीट किया, "यह स्पष्टीकरण गलत है" और "जब तक मोदी शासन एक नया निर्देश जारी नहीं करता, तब तक इस निर्देश के पैरा 10 के अनुसार, कुछ भी नहीं माना जा सकता है। मंत्री के मौखिक बयान को लिखित पुष्टि की आवश्यकता होगी।"
कांग्रेस ने इसे "जासूसी ऐप (snooping app)" करार दिया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। पार्टी ने सरकारी निर्देश को बिना किसी देरी के वापस लेने की भी मांग की है।

सरकारी आदेश का पालन और चेतावनी

दूरसंचार विभाग (DoT) के निर्देश में अनिवार्य किया गया है कि भारत में इस्तेमाल के लिए लक्षित मोबाइल हैंडसेट के सभी निर्माताओं और आयातकों को जारी होने की तारीख से 120 दिनों के भीतर DoT को अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी। इसमें आगे चेतावनी दी गई है कि अनुपालन में विफल रहने पर दूरसंचार अधिनियम, 2023, दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024, और अन्य लागू कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और विभाग द्वारा संशोधित या वापस लिए जाने तक लागू रहेगा।

Apple का ऐप स्थापित करने से इंकार?

रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया कि ऐप्पल अपने स्मार्टफ़ोन में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप प्रीलोड करने के आदेश का पालन करने की योजना नहीं बना रहा है। वह अपनी चिंताओं से भारत सरकार को अवगत कराएगा। भारत सरकार ने ऐप्पल, सैमसंग और शियोमी जैसी कंपनियों को गोपनीय रूप से आदेश दिया है कि वे 90 दिनों के भीतर अपने फ़ोन में संचार साथी नामक ऐप प्रीलोड करें। हालांकि ऐप्पल का आधिकारिक बयान अभी आना है।