भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट अवमानना कार्यवाही नहीं करना चाहता है। हालाँकि, अदालत इस बात से सहमत दिखी कि इस घटना का महिमामंडन एक गंभीर चिंता का विषय है। लेकिन कोर्ट का मानना है कि अवमानना कार्यवाही से सोशल मीडिया पर इसका और महिमामंडन होगा। अदालत ने कहा कि वह इस घटना को अपने आप ख़त्म होने देना चाहती है। इसने संकेत दिया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार किया जाना चाहिए।
सीजेआई-जूता कांड पर SC अवमानना कार्यवाही नहीं करना चाहता, गाइडलाइंस बनाने पर विचार
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- 27 Oct, 2025

सीजेआई पर जूता फेंकने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना कार्यवाही करने का इच्छुक क्यों नहीं है? अदालत अब न्यायालय की गरिमा से जुड़ी घटनाओं के लिए नई गाइडलाइंस बनाने पर विचार कर रही है।

जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन यानी एससीबीए की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी। किशोर ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर कार्यवाही के दौरान सीजेआई गवई पर जूता फेंका था। हालाँकि, जूता सीजेआई से दूर गिरा था। यह घटना खजुराहो में विष्णु मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका पर CJI की टिप्पणियों के बाद घटी। कथित तौर पर राकेश किशोर इस टिप्पणी से नाराज थे।



















