उत्तराखंड ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने क्यों कहा कि अयोध्या राम मंदिर अधूरा है और इसलिए वह उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। शंकराचार्य ने कहा कि क्योंकि यह धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ होगा। मंदिर भगवान का शरीर है, मंदिर का शिखर भगवान की आंखों का प्रतिनिधित्व करता है और 'कलश' सिर का प्रतिनिधित्व करता है। शंकराचार्य ने कहा, मंदिर पर लगा झंडा भगवान का बाल है। "बिना सिर या आंखों के शरीर में प्राण-प्रतिष्ठा करना सही नहीं है। यह हमारे शास्त्रों के खिलाफ है। इसलिए, मैं वहां नहीं जाऊंगा क्योंकि अगर मैं वहां जाऊंगा तो लोग कहेंगे कि शास्त्रों का उल्लंघन किया गया है।" शंकराचार्य ने कहा कि इसलिए, हमने जिम्मेदार लोगों के साथ, विशेष रूप से अयोध्या ट्रस्ट के सदस्यों के साथ यह मुद्दा उठाया है कि मंदिर के पूर्ण निर्माण के बाद उत्सव मनाया जाना चाहिए। चर्चा चल रही है।"
शंकराचार्य का सवाल- 'सिर, आंख के बिना प्राण प्रतिष्ठा कैसे', क्यों अधूरा है राम मंदिर?
- देश
- |
- सत्य ब्यूरो
- |
- 15 Jan, 2024
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर वह 22 जनवरी को राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होंगे तो लोग कहेंगे कि उनके सामने शास्त्रों का उल्लंघन किया गया है।

अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन समारोह 22 जनवरी को है। प्रधानमंत्री मोदी मंदिर का उद्घाटन करेंगे। लेकिन इस उद्घाटन कार्यक्रम का राजनीतिकरण होने का कम से कम दो शंकराचार्यों ने स्पष्ट रूप से विरोध किया है। जबकि दो ने विरोध नहीं किया लेकिन अयोध्या जाने के बारे में उन्होंने भी मौन साध रखा है। इन शंकराचार्यों के अलावा राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे लालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार भी वहां नहीं होंगे।
- Ram Mandir
- Ayodhya Ram mandir
- Ram Mandir Construction
- Shankaracharya Nischalananda Saraswati
- Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati