जहांगीरपुरी हिंसा। फाइल फोटो
दिल्ली पुलिस चालाकी से इस बात को छिपा रही थी कि उसने पहली दो शोभा यात्राओं को अऩुमति दी थी और तीसरी को अनुमति नहीं दी थी। हिंसा उसी तीसरी में हुई थी। लेकिन इसी से जुड़ा एक सवाल यह खड़ा हुआ है कि जो पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे, उन्होंने शोभा यात्रा को फौरन रोका क्यों नहीं। जिस एसआई मेदालाल मीणा को हाथ में गोली लगी है, उन्होंने बताया है कि वहां पुलिस कर्मी उस समय मौजूद थे। उन पुलिसकर्मियों के साथ अधिकारी भी जरूर रहे होंगे, क्या वो शोभा यात्रा के रंग-ढंग देखकर उसे रोक नहीं सकते थे।