Sonam Wangchuk SC: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मोदी सरकार से पूछा कि क्या सोनम वांगचुक की नज़रबंदी की वजहों को उनकी पत्नी के साथ साझा किया जा सकता है। केंद्र ने तर्क दिया कि वांगचुक की पत्नी ने देश में 'भावनात्मक माहौल' बनाने के लिए याचिका दायर की है।
लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 6 अक्टूबर को अहम सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वांगचुक की पत्नी को उनके डिटेंशन (हिरासत) के कारणों की जानकारी दी जा सकती है।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की बेंच ने कहा कि पारदर्शिता के सिद्धांत के तहत यह जानना जरूरी है कि सरकार किन आधारों पर एक नागरिक को लंबे समय तक हिरासत में रख रही है। कोर्ट ने कहा कि वांगचुक की पत्नी, गीतांजलि वांगचुक, को कम से कम इतना बताया जाए कि किन धाराओं और परिस्थितियों में यह कार्रवाई की गई।
हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने अदालत को बताया कि पत्नी की ओर से दायर यह याचिका देश में “भावनात्मक माहौल बनाने और जनसहानुभूति जुटाने की कोशिश” है। सरकार ने कोर्ट में कहा कि वांगचुक की हिरासत पूरी तरह कानूनी है और सुरक्षा कारणों से सभी दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए जा सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से यह भी सवाल किया कि लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसक झड़पों के मद्देनजर वांगचुक की पत्नी को उनके पति को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लेने के आधार के बारे में पहले से सूचना क्यों नहीं दी गई।
वकील कपिल सिब्बल की दलीलें
सुनवाई के दौरान, गीतांजलि आंगमो की ओर से पेश वरिष्ठ कपिल सिब्बल ने कहा कि हिरासत नोटिस प्राप्त किए बिना हिरासत को चुनौती नहीं दी दी जा सकती।
हालाँकि सरकार ने कहा कि हिरासत के आधार वांगचुक को पहले ही बताए जा चुके हैं और हिरासत में लिए जाने के बाद उनके भाई ने उनसे मुलाकात की थी। इस पर, सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि अधिकारियों को वांगचुक की पत्नी को हिरासत के आधार बताने से किसने रोका। अदालत ने कहा, "(हिरासत के) आधार इस न्यायालय के निर्णयों के अनुसार दिए जाने चाहिए। परिवार के सदस्यों को (हिरासत नोटिस) दिया जाना चाहिए... इसे उनकी पत्नी को देने से क्यों रोका जा रहा है? उन्हें दिया जाए।" सिब्बल ने अदालत ने बताया कि परिवार को कोई प्रति नहीं दी गई है और वे केवल इंटरकॉम पर ही उनसे बात कर सकते हैं, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हिरासत के आधार के बिना, वे संबंधित बोर्ड के सामने उचित दावा दायर नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि आंगमो को उसके पति से मिलने की अनुमति दी जाए, क्योंकि अभी तक उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।
जब सुप्रीम कोर्ट ने आंगमो से पूछा कि उन्होंने अपने पति से मिलने का अनुरोध कब किया था, तो उन्होंने जवाब दिया कि वह पिछले हफ़्ते जोधपुर गई थीं और उनसे संपर्क कर रही थीं, लेकिन उन्हें अभी तक उनसे मिलने की अनुमति नहीं मिली है। जवाब में, सॉलिसिटर जनरल ने दोहराया कि यह "झूठा प्रचार" करने के लिए किया जा रहा है। फिर बेंच ने चेतावनी दी, "कृपया भावनात्मक तर्क न दें।"
गीतांजलि आंगमो वांगचुक ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उनके पति को बिना स्पष्ट कारण बताए गिरफ्तार किया गया और अब तक न तो उन्हें केस के दस्तावेज दिखाए गए, न ही मिलने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार लद्दाख में उठती आवाज़ों को दबाने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट अब 14 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगा।
सोनम वांगचुक, जो लंबे समय से लद्दाख को संवैधानिक दर्जा और पर्यावरणीय सुरक्षा की मांग उठा रहे हैं, पिछले महीने हिरासत में लिए गए थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद लद्दाख में विरोध प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन देखने को मिला है।