सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया की समय सीमा को और बढ़ाने की मांग पर निर्वाचन आयोग (ECI) से विचार करने को कहा। अदालत ने इसे "न्यायपूर्ण और उचित" अनुरोध बताते हुए आयोग को निर्देश दिया कि वह केरल सरकार की अर्जी पर "निष्पक्ष और सहानुभूतिपूर्वक" गुरुवार तक फैसला ले। यह सुनवाई स्थानीय निकाय चुनावों के ठीक पहले हो रही है, जो 9 और 11 दिसंबर को होंगे, जबकि मतगणना 13 दिसंबर को होगी।
चीफ जस्टिस सूर्याकांत और जस्टिस ज्योमल्या बागची की बेंच ने कई याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें केरल राज्य सरकार, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केपीसीसी अध्यक्ष सनी जोसेफ, सीपीआई(एम) महासचिव गोविंदन मास्टर और सीपीआई जैसी राजनीतिक पार्टियां शामिल थीं। याचिकाकर्ताओं ने SIR प्रक्रिया को स्थानीय चुनावों के बाद स्थगित करने या समय सीमा बढ़ाने की मांग की, क्योंकि दोनों प्रक्रियाओं के बीच ओवरलैपिंग से अधिकारी-कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।

याचिकाकर्ताओं के प्रमुख तर्क

केरल सरकार की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि SIR फॉर्मों का वितरण, संग्रह और डिजिटलीकरण का काम चुनावी तैयारियों में बाधा डाल रहा है। IUML महासचिव पीके कुट्टी की ओर से पेश वकील हैरिस बीरान ने विशेष समस्या का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि केरल में 35 लाख से अधिक गैर-निवासी (मुख्य रूप से मध्य पूर्व में रहने वाले) हैं, जो ऑनलाइन आवेदन तो कर सकते हैं, लेकिन बूथ लेवल अधिकारी (BLO) शारीरिक सत्यापन पर जोर देते हैं। इससे NRIs, जो शायद ही कभी भारत लौटते हैं, मतदाता सूची में नाम दर्ज या अपडेट नहीं कर पाते। 
एडवोकेट बीरान ने कहा, "केरल में गैर-निवासियों की बड़ी संख्या के कारण यह एक विशेष समस्या है... BLO आवेदकों की शारीरिक उपस्थिति पर अड़े रहते हैं।"केरल हाईकोर्ट ने पहले राज्य सरकार की स्टे की मांग खारिज कर दी थी और सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी थी, क्योंकि वह पहले से ही SIR से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहा है।

निर्वाचन आयोग का पक्ष

ECI की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह ने दलील दी कि SIR प्रक्रिया से स्थानीय चुनावों में कोई बाधा नहीं है। उन्होंने अदालत को बताया कि स्थानीय चुनावों के लिए आवंटित कर्मचारियों को SIR ड्यूटी से छूट दी गई है। राज्य ने राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) को 1.76 लाख समर्पित कर्मचारी उपलब्ध कराए हैं, जबकि SIR के लिए केवल 25,468 लोग लगे हैं। 
ECI ने कहा कि 98.8% से अधिक फॉर्म वितरित हो चुके हैं और 80% डिजिटलीकृत हो चुके हैं। मूल समय सीमा 4 दिसंबर की थी, जिसे 11 दिसंबर तक बढ़ाया जा चुका है। आयोग ने जोर दिया कि SIR फॉर्मों का वितरण चुनावों को प्रभावित नहीं कर रहा। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा बढ़ाए गए समय को तमाम राज्यों में बीएलओ ने ठुकरा दिया।

सुप्रीम कोर्ट का अवलोकन और आदेश

पीठ ने ECI के तर्कों को सुनने के बाद कहा कि समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध "न्यायपूर्ण और उचित" है तथा इस पर ECI द्वारा विचार किया जाना चाहिए। CJI सूर्या कांत ने वकील द्विवेदी से कहा, "आप इसे और बढ़ाएं ताकि कोई भी छूट गया व्यक्ति भी मौका पा सके।" अदालत ने केरल सरकार को निर्देश दिया कि वह विस्तृत कारणों के साथ ECI से अनुरोध करे, जिसमें NRIs की सत्यापन समस्या भी शामिल हो। ECI को कल (3 दिसंबर) तक यह अर्जी प्राप्त करने और गुरुवार (4 दिसंबर) तक "निष्पक्ष और सहानुभूतिपूर्वक" फैसला लेने का आदेश दिया गया। अदालत ने SIR प्रक्रिया को स्थगित करने का अंतिम आदेश नहीं दिया, लेकिन जोर दिया कि चुनावी ड्यूटी वाले अधिकारियों को फॉर्म अपलोड करने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए।
यह फैसला चुनावी संशोधन और मतदान के बीच संतुलन बनाए रखने की अदालत की कोशिश को बताता है। केरल जैसे राज्यों में, जहां NRIs की बड़ी आबादी है, मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया में प्रणालीगत चुनौतियां उजागर हुई हैं। यह भविष्य में SIR जैसे संशोधनों के दौरान विस्तार पर ECI की नीति को प्रभावित कर सकता है, खासकर जब चुनाव नजदीक हों। विशेषज्ञों का मानना है कि यह NRIs के मताधिकार को मजबूत करने की दिशा में एक कदम हो सकता है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि SIR प्रक्रिया मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए जरूरी है, लेकिन इसे चुनावी प्रक्रिया से जोड़कर देखना उचित नहीं। मामले पर अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।