सुप्रीम कोर्ट ने अपनी आंखों से देखा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए नतीजे को बदला जा सकता है। अदालत ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव में हुए सरपंच चुनाव में EVM और अन्य चुनावी रिकॉर्ड को अपने परिसर में मंगवाकर वोटों की पुनर्गणना (रीकाउंटिंग) का आदेश दिया। इस रीकाउंटिंग का परिणाम यह हुआ कि चुनाव का नतीजा पलट गया। भारतीय न्यायिक इतिहास में यह एक ऐतिहासिक घटना है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ईवीएम से फ्रॉड किए जाने के आरोपों को कई बार खारिज कर चुके हैं। 
यह मामला 2 नवंबर 2022 को हुए सरपंच चुनाव से संबंधित है। कुलदीप सिंह को विजेता घोषित किया गया था। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी मोहित कुमार को हराया था। मोहित कुमार ने मतगणना में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए नतीजे को चुनौती दी। उनकी याचिका सबसे पहले पानीपत के एक चुनावी ट्रिब्यूनल में सुनी गई, जिसने एक बूथ के वोटों की पुनर्गणना का आदेश दिया था। लेकिन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके बाद मोहित कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया। 31 जुलाई को कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया, जिसमें बुआना लाखू चुनाव से संबंधित सभी छह EVM और अन्य रिकॉर्ड को कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के आदेश से आगे बढ़ते हुए सभी बूथों (65 से 70) के वोटों की रीकाउंटिंग का फैसला किया।
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6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के परिसर में ही रीकाउंटिंग की प्रक्रिया संपन्न हुई, जो पूरी तरह से वीडियोग्राफ की गई ताकि पारदर्शिता रहे। इस प्रक्रिया में कुलदीप सिंह और मोहित कुमार के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। रीकाउंटिंग के नतीजे ने एक बड़ा बदलाव दिखाया। कुल 3,767 वोटों में से मोहित कुमार को 1,051 वोट मिले, जबकि कुलदीप सिंह को 1,000 वोट प्राप्त हुए। यानी कुलदीप कुमार को जिस तरह ईवीएम के जरिए जीता दिखाया गया था, वो नतीजा फ्रॉड था। 
ईवीएम के नए नतीजे सुप्रीम कोर्ट को स्वीकार करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और पानीपत के डिप्टी कमिश्नर को दो दिनों के भीतर मोहित कुमार को निर्वाचित सरपंच घोषित करने की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम फ्रॉड का सच बेनकाब कर दिया।
यह घटना न केवल EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, बल्कि भारतीय चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगाती है। ईवीएम फ्रॉड को लेकर तमाम यूट्यूबर ने जब भारी तादाद में वीडियो बनाने शुरू किए तो आरोप है कि चुनाव आयोग ने यूट्यूब को सारे वीडियो पर उसकी गाइडलाइंस लगाने का निर्देश दिया। आरोप है कि यूट्यूब ने पता नहीं किसके निर्देश पर ऐसे वीडियो की रीच घटा दी। फेसबुक ने भी ईवीएम फ्रॉड के वीडियो और पोस्ट की रीच घटा दी। 
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