सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 1 दिसंबर को  'डिजिटल अरेस्ट' के बढ़ते मामलों को लेकर कड़ी चिंता जताते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पूरे देश की जांच सौंप दी। चीफ जस्टिस सूर्याकांत की बेंच ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सीबीआई को अपनी सीमाओं में जांच के लिए सहयोग देने का निर्देश दिया, जिसमें विपक्ष शासित राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना भी शामिल हैं।

यह फैसला एक स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) मामले में सुनाया गया, जो हरियाणा के एक बुजुर्ग दंपति की शिकायत से सामने आया था। कोर्ट ने पिछले 3 नवंबर को ही इस घोटाले पर सदमे का इजहार करते हुए कहा था कि इससे 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी हुई है। खासकर वरिष्ठ नागरिकों के मुश्किल और मेहनत से कमाए पैसे लूटे जा रहे हैं। आज की सुनवाई में कोर्ट ने गृह मंत्रालय और सीबीआई की दो गोपनीय रिपोर्टों का अवलोकन भी किया।

'डिजिटल अरेस्ट' का बढ़ता खतरा

'डिजिटल अरेस्ट' एक नया साइबर अपराध है, जिसमें ठग कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अदालतों या सरकारी अधिकारियों का चोला पहनकर पीड़ितों को वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिए डराते-धमकाते हैं। वे पीड़ित को 'वर्चुअल हिरासत' में बताकर पैसे वसूलते हैं। कोर्ट ने कहा, "डिजिटल अरेस्ट के मामले कई राज्यों में हो रहे हैं, लोग इधर-उधर भटक रहे हैं।" बेंच ने इन अपराधों से निपटने के लिए "कड़ी कार्रवाई" से कार्रवाई की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट के डिजिटल अरेस्ट पर प्रमुख निर्देश

सीबीआई को पैन-इंडिया जांच: सीबीआई को सभी मामलों की एकत्रित जांच सौंपी गई है। विदेशी टैक्स हेवन देशों में भागे साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए इंटरपोल से सहायता ली जाएगी।
राज्यों का सहयोग: सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सीबीआई को सहमति दें। क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित किए जाएं।
बैंक खातों पर नजर: राज्यों, पुलिस और सीबीआई को धोखाधड़ी वाले बैंक खातों को फ्रीज करने का अधिकार। 'म्यूल अकाउंट्स' (ठगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले नामी खाते) चलाने वाले बैंक अधिकारियों की सीबीआई जांच करेगी।
आरबीआई को नोटिस: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से पूछा गया कि साइबर अपराधियों के खातों को ट्रैक करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) या मशीन लर्निंग तकनीक क्यों नहीं अपनाई जा रही।
आईटी और टेलीकॉम पर कार्रवाई: सूचना प्रौद्योगिकी मध्यस्थों (जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) को सीबीआई के साथ पूर्ण सहयोग करने का आदेश। दूरसंचार विभाग को एक ही व्यक्ति या इकाई को कई सिम कार्ड जारी करने से रोकना होगा, जो साइबर अपराधों को बढ़ावा देता है।
मंत्रालयों से सुझाव: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को गृह, दूरसंचार, वित्त और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के विचार एकत्र कर पेश करने को कहा गया।

साइबर अपराध से निपटने के लिए जरूरी समन्वय

सुप्रीम कोर्ट ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए बेहतर समन्वय पर जोर दिया। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार पहले से ही 'मनी म्यूल' खातों की पहचान के लिए एआई का उपयोग कर रही है और भविष्य में और सख्त कदम उठाए जाएंगे। कोर्ट ने मामले को 6 जनवरी, 2026 को अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।

यह फैसला साइबर ठगी के शिकार लाखों नागरिकों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है, जो रोजाना फोन पर 'अरेस्ट' की धमकी पा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सीबीआई की केंद्रीकृत जांच से अपराधियों का जाल टूटेगा और तकनीकी सुरक्षा मजबूत होगी।