हालाँकि इस मामले में कोई क़ानूनी पेच तो नहीं है, लेकिन यह संवैधानिक नैतिकता व व्यक्तिगत नैतिकता का सवाल हो सकता है। यह इसलिए कि स्वपन दासगुप्ता चुनाव लड़ने के लिए एक राजनीतिक दल में शामिल होते हैं, राज्यसभा से इस्तीफ़ा देते हैं और फिर चुनाव हारने पर फिर से राज्यसभा चले जाते हैं।