SIR Controversy: तमिलनाडु की डीएमके और पश्चिम बंगाल की टीएमसी ने एसआईआर का तीखा विरोध किया है। डीएमके ने 2 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। दोनों दलों ने इसे मताधिकार छीनने की साज़िश बताया। सीपीएम ने कहा ये मनमाना कदम है।
टीएमसी की ममता बनर्जी और डीएमके के एमके स्टालिन ने एसआईआर का तीखा विरोध किया है।
भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा घोषित विशेष गहन संशोधन (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन - SIR) का विपक्षी दलों ने तीखा विरोध किया है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे चुनावी राज्यों में सत्ताधारी दल डीएमके और टीएमसी ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश करार देते हुए कड़ा रुख अपनाया है। डीएमके ने 2 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाने का ऐलान किया है, जबकि टीएमसी ने चुनाव आयोग को 'अत्यधिक समझौतावादी' बताते हुए इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। सीपीएम ने भी इसे मनमाना कदम ठहराया है। यह विवाद बिहार में हाल ही में SIR अभियान के दौरान मतदाता सूची से अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों और महिलाओं के नाम काटे जाने के आरोपों से पैदा हुआ है।
SIR योजना क्या है और क्यों हो रहा है विवाद?
निर्वाचन आयोग ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में SIR के दूसरे चरण की घोषणा की, जिसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नवंबर से फरवरी तक मतदाता सूची का गहन संशोधन किया जाएगा। इनमें अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुदुच्चेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। यह अभियान करीब 51 करोड़ मतदाताओं को कवर करेगा, जिसमें डुप्लिकेट, मृत और अवैध नामों को हटाने का लक्ष्य है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जरूरी है, लेकिन विपक्ष इसे 'वोट चोरी की साजिश' बता रहा है।
बिहार में SIR के पहले चरण के दौरान सुप्रीम कोर्ट को कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा था, जहां आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मानने का निर्देश दिया गया। विपक्ष का आरोप है कि यह अभियान भाजपा समर्थक मतदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए अल्पसंख्यक, एससी/एसटी और महिलाओं को निशाना बना रहा है। तमिलनाडु में तो इसके टाइम टेबल को अव्यावहारिक बताया जा रहा है।
डीएमके का आक्रोश: 'मताधिकार छीनने की साजिश'
तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके और उसके सहयोगियों ने SIR को 'लोकतंत्र को कमजोर करने की केंद्रीय साजिश' करार दिया है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार शाम अन्ना अरिवालयम में गठबंधन दलों के साथ आपात बैठक की, जिसमें सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला लिया गया। स्टालिन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "जो लोग चुनावी मैदान में जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं रखते, वे मताधिकार छीनकर जीतने का सपना देख रहे हैं। लेकिन तमिलनाडु में यह गलतफहमी साबित होगी। हम इस अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे।"
डीएमके का कहना है कि बिहार जैसी स्थिति तमिलनाडु में दोहराने नहीं देंगे। स्टालिन ने आरोप लगाया कि भाजपा और सहयोगी एआईएडीएमके मिलकर मतदाता सूची में हेरफेर करना चाहते हैं। गठबंधन में शामिल एमडीएमके के नेता वैको ने कहा, "यह अल्पसंख्यकों, दलितों और महिलाओं के नाम काटने की साजिश है। हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।" 2 नवंबर की बैठक में विपक्षी दलों के साथ रणनीति बनाई जाएगी।
वहीं, विपक्षी एआईएडीएमके ने डीएमके के विरोध को '2026 चुनाव हारने का डर' बताया। पार्टी ने कहा कि SIR एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिसे डीएमके अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक रंग दे रहा है। निर्वाचन आयोग ने तमिलनाडु के मान्यता प्राप्त दलों के साथ 29 अक्टूबर को बैठक बुलाई है, जहां SIR पर चर्चा होगी।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी का हमला
पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने SIR को 'बिहार का ड्रेस रिहर्सल' बताते हुए भाजपा पर निशाना साधा। वरिष्ठ नेता डेरिक ओ'ब्रायन ने कहा, "SIR का असली निशाना बंगाल है। बंगाल की जनता कुछ महीनों में इस 'अत्यधिक समझौतावादी' चुनाव आयोग को सबक सिखाएगी।" टीएमसी का आरोप है कि यह अभियान घुसपैठियों को हटाने के नाम पर TMC समर्थक मतदाताओं को निशाना बनाएगा।
बंगाल के मंत्री शशि पंजा ने कहा, "हम हिंसा नहीं करेंगे, लेकिन वोटर हटाने के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करेंगे। यह एक जाल है।" राज्य सरकार ने SIR से पहले 64 आईएएस अधिकारियों का तबादला किया है। टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इसे 'आर्थिक नाकाबंदी' से जोड़ते हुए कहा कि केंद्र भाजपा बंगाल को दबाने की कोशिश कर रहा है।
विपक्षी भाजपा ने SIR का स्वागत किया। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "कोई अवैध मतदाता बचेगा नहीं। टीएमसी का फर्जी वोट बैंक साफ हो जाएगा।" भाजपा का दावा है कि घुसपैठियों के नाम सूची में जोड़े जा रहे हैं, जबकि भारतीय मतदाताओं को हटाया जा रहा है।
केरल में सीपीएम का विरोध: 'मनमाना और अव्यावहारिक कदम'
केरल की सीपीएम सरकार ने भी SIR को मनमाना ठहराया। पार्टी ने कहा कि यह अभियान चुनावी लाभ के लिए डिजाइन किया गया है, जो अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाएगा। सीपीएम ने केंद्रीय हस्तक्षेप को लोकतंत्र के खिलाफ बताया। कांग्रेस ने भी ईसीआई की मंशा पर सवाल उठाए, कहा कि बिहार के सवालों के जवाब अभी बाकी हैं।
2026 के चुनाव प्रभावित हो सकते हैं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि SIR विवाद 2026 के विधानसभा चुनावों को प्रभावित कर सकता है। तमिलनाडु और बंगाल जैसे राज्यों में विपक्षी एकता मजबूत हो रही है। ईसीआई ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकारें सहयोग के लिए बाध्य हैं, लेकिन कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। विपक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।यह विवाद लोकतंत्र की मजबूती पर सवाल खड़ा कर रहा है। क्या SIR वाकई पारदर्शी होगा, या यह राजनीतिक हथियार साबित होगा? आने वाले दिनों में सर्वदलीय बैठकों और विरोध प्रदर्शनों से स्थिति स्पष्ट होगी।