टाटा समूह को सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट के लिए 44000 करोड़ की सब्सिडी मिली और ठीक चार हफ्ते बाद बीजेपी के खाते में 758 करोड़ रुपये पहुँच गये! स्क्रॉल ने यह रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के अनुसार सेमीकंडक्टर प्लांट की मंजूरी के नाम पर सरकारी खजाना खुला और चुनाव से पहले टाटा समूह बीजेपी का सबसे बड़ा दानदाता बन गया। क्या यह महज संयोग है या सब्सिडी के बदले चंदा देने का उदाहरण?

दरअसल, इसकी शुरुआत पिछले साल तब हुई जब 29 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी थी। इनमें से दो इकाइयाँ टाटा ग्रुप की थीं। भारत को घरेलू सेमीकंडक्टर हब बनाने की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत इन प्रोजेक्ट्स पर कुल लागत का 50 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठाने को तैयार हुई। टाटा के दोनों प्लांट के लिए यह सब्सिडी क़रीब 44 हज़ार 203 करोड़ रुपये बैठती है।
स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के इस फ़ैसले के ठीक चार हफ्ते बाद यानी अप्रैल 2024 में टाटा ग्रुप ने बीजेपी को 758 करोड़ रुपये का दान दे दिया। चुनाव आयोग को सौंपी गई रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले यह किसी एक समूह द्वारा बीजेपी को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा चंदा है। 2023-24 में किसी ने भी इतनी बड़ी रकम एक पार्टी को नहीं दी थी।

टाटा का कुल चंदा: 915 करोड़ रुपये

वित्त वर्ष 2024-25 में टाटा ग्रुप की 15 कंपनियों ने मिलकर क़रीब 915 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को दिए। यह सारा पैसा टाटा ग्रुप के ‘प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट’ के जरिए दिया गया। इसमें सबसे बड़ी रकम टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की थी जिसने 308 करोड़ रुपये दिए। बीजेपी को मिले 758 करोड़ रुपये के बाद दूसरा सबसे बड़ा हिस्सेदार कांग्रेस रही, जिसे महज 77.3 करोड़ रुपये मिले। आठ अन्य क्षेत्रीय दलों को 10-10 करोड़ रुपये दिए गए।
दिलचस्प बात यह है कि टाटा का यह प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट 2021 से 2024 तक तीन साल तक एक भी रुपया किसी राजनीतिक दल को नहीं दिया था। स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार अचानक अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव शुरू होने से ठीक पहले 758 करोड़ रुपये बीजेपी के खाते में पहुँच गए।

पैटर्न जैसा दिख रहा!

रिपोर्ट के अनुसार सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट में सरकारी सब्सिडी पाने वाली हर बड़ी कंपनी ने ठीक मंजूरी के कुछ दिनों या हफ्तों बाद बीजेपी को मोटा चंदा दिया है।

तमिलनाडु का मुरुगप्पा ग्रुप: फरवरी 2024 में ही तीसरे सेमीकंडक्टर प्लांट की मंजूरी मिली। सब्सिडी 3501 करोड़ रुपये की मिली। रिपोर्ट के अनुसार मंजूरी के कुछ दिनों बाद ग्रुप ने बीजेपी को 125 करोड़ रुपये का दान दिया।

कायनेस टेक्नोलॉजी के एमडी रमेश कुन्हिकन्नन: सितंबर 2024 में गुजरात के सानंद में सेमीकंडक्टर यूनिट की मंजूरी मिली। इससे पहले 2023-24 में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से बीजेपी को 12 करोड़ रुपये दिए थे।

मोदी सरकार का सेमीकंडक्टर मिशन

2021 में कोविड महामारी के दौरान चीन-ताइवान से चिप सप्लाई बाधित होने के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर को भारी नुक़सान हुआ था। इसके बाद मोदी सरकार ने ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’ शुरू किया और हजारों करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का ऐलान किया। योजना यह थी कि जो कंपनी प्लांट लगाएगी, उसकी कुल लागत का 50 फीसदी केंद्र और कुछ हिस्सा राज्य सरकार उठाएगी।

157 साल पुराने टाटा ग्रुप की सेमीकंडक्टर में दिलचस्पी भी काफी है। 2021 में टाटा संस ने एक टेलीकॉम कंपनी खरीदी, जिसने बाद में एक भारतीय चिप डिजाइन कंपनी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी ली। 2022-23 में जापान की रेनेसास और अमेरिका की माइक्रोन के साथ साझेदारी की।

फरवरी 2024 में जब मोदी कैबिनेट ने तीन प्लांट को हरी झंडी दिखाई। इसमें से दो गुजरात में और एक असम में प्लांट लगाने की बात कही गई। दो बीजेपी शासित राज्य में हैं। तो टाटा को दो प्लांट मिल गए-
  • धोलेरा (गुजरात)– ताइवान की पावरचिप के साथ मिलकर सिलिकॉन वेफर से तैयार चिप बनाना।
  • मोरीगाँव (असम) – चिप असेंबली, टेस्टिंग और पैकेजिंग यूनिट।
टाटा इन दोनों प्लांट में कुल 1.18 लाख करोड़ रुपये निवेश करने जा रहा है और क़रीब 46000 नौकरियाँ पैदा करने का दावा है। इसमें से 44203 करोड़ रुपये की सब्सिडी केंद्र सरकार देगी।

रिपोर्ट के अनुसार इस पर स्क्रॉल ने टाटा संस के प्रवक्ता से चंदे की टाइमिंग के बारे में सवाल पूछे थे, लेकिन कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं आया। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भी सवाल भेजे गए, उसका भी कोई उत्तर नहीं मिला।

टाटा और बीजेपी के बीच यह वित्तीय लेन-देन सब्सिडी और चंदे के बीच संयोग है या कुछ और, यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। लेकिन आँकड़े एक साफ़ पैटर्न दिखा रहे हैं- जिस कंपनी को सेमीकंडक्टर में सबसे बड़ी सब्सिडी मिली, वही बीजेपी की सबसे बड़ी दानदाता बन गई।