भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए 87 घंटे के सैन्य संघर्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान चीन की भूमिका को लेकर सेना के बड़े अफसरों में मतभेद सामने आए हैं। रक्षा प्रमुख (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान को चीन से मिले समर्थन को "बयान करना बहुत मुश्किल" है, जबकि उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने पहले दावा किया था कि चीन ने पाकिस्तान को भारतीय सैन्य तैनाती की वास्तविक समय (रियल-टाइम) जानकारी प्रदान की थी।
जनरल चौहान ने एक कार्यक्रम में कहा, "यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान को चीन से कितना समर्थन मिला। उत्तरी सीमा पर इस संघर्ष के दौरान कोई असामान्य गतिविधि नहीं देखी गई, जो पहले के संघर्षों से अलग है।" उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान के पास मौजूद 70-80% सैन्य हार्डवेयर चीन से आता है, इसलिए चीनी उपकरण निर्माताओं द्वारा रखरखाव सेवाएं देना स्वाभाविक है।
दूसरी ओर, लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने शुक्रवार को फिक्की (FICCI) द्वारा आयोजित 'न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज' कार्यक्रम में कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को एक सीमा पर तीन विरोधियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान तो सामने था, लेकिन चीन ने हर संभव समर्थन दिया। पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान के 81% सैन्य हार्डवेयर चीनी हैं।" सिंह ने यह भी दावा किया कि डीजीएमओ (DGMO) स्तर की बातचीत के दौरान पाकिस्तान को भारत की सैन्य तैनाती की "लाइव" जानकारी चीन से मिल रही थी।
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सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि तुर्की ने भी पाकिस्तान को ड्रोन और अन्य समर्थन प्रदान करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि भविष्य में भारत को अपनी आबादी वाले क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए मजबूत हवाई रक्षा प्रणाली की आवश्यकता होगी।

ऑपरेशन सिंदूर में क्या हुआ था

ऑपरेशन सिंदूर 7 मई को शुरू हुआ था, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ढांचों पर सटीक हमले किए, जिसमें 9 लक्ष्यों को निशाना बनाया गया और 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। चार दिन की तीव्र सैन्य कार्रवाई के बाद 10 मई को दोनों देशों ने संघर्ष विराम की घोषणा की।

चीन का जवाब 

चीन ने सोमवार को भारतीय सेना के दावों को खारिज करते हुए कहा कि बीजिंग और इस्लामाबाद के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग "सामान्य सहयोग" का हिस्सा है और यह किसी तीसरे पक्ष को टारगेट नहीं करता। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "भारत-चीन संबंध सुधार और विकास के महत्वपूर्ण क्षण में हैं, और हम नई दिल्ली के साथ स्थिर संबंधों को बढ़ावा देना चाहेंगे।"

विवाद और भविष्य की चुनौतियाँ 

CDS जनरल चौहान ने हाल ही में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच एक संभावित गठजोड़ को लेकर चिंता जताई, जिसका भारत की सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर "अलग तरह का युद्ध" था, जिसमें साइबर, अंतरिक्ष, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे क्षेत्रों में कार्रवाई शामिल थी। 
सेना के अधिकारियों में अभी तक ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर मतभेद नहीं रहे हैं। उप सेना प्रमुख के दावों और CDS के बयान के बीच यह मतभेद भारत की रक्षा रणनीति और क्षेत्रीय जियो पालिटिक्स पर चर्चा को तेज कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति भारत के लिए एक मजबूत स्वदेशी रक्षा प्रणाली और उन्नत हवाई रक्षा तंत्र विकसित करने की जरूरत को रेखांकित करती है।

पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन गठजोड़ खतरा हैः सीडीएस चौहान 

CDS जनरल अनिल चौहान ने यह भी चेतावनी दी है कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संभावित हितों का समन्वय क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा गतिशीलता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। नई दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में "भारत के बदलते राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य" पर बोलते हुए, जनरल चौहान ने दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
जनरल चौहान ने इस संदर्भ में भारत के पड़ोस में कई चुनौतियों का उल्लेख किया, जिसमें म्यांमार जैसे देशों में आर्थिक अस्थिरता, हिंद महासागर क्षेत्र में आर्थिक संकट और दक्षिण एशिया में बार-बार होने वाले सरकारों के बदलाव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये बदलते भू-राजनीतिक समीकरण और वैचारिक दृष्टिकोण क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
CDS ने हिंद महासागर क्षेत्र में आर्थिक संकट का जिक्र करते हुए कहा कि इससे छोटे देशों में "लोन कूटनीति" के लिए रास्ता खुल गया है, जिसका लाभ बाहरी शक्तियां, विशेष रूप से चीन, अपनी बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से उठा रहा है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक गंभीर रणनीतिक चुनौती है।