ट्रंप की टैरिफ़ नीति के चलते वैश्विक व्यापार में तनाव के बीच भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका दौरे पर जा रहा है। क्या दोनों देश किसी व्यापार समझौते पर पहुँच पाएंगे या यह दौरा भी प्रतीकात्मक ही रहेगा?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अगले कुछ दिनों में वाशिंगटन में एक और दौर की वार्ता होने वाली है। इसके लिए फिर से एक भारतीय दल अमेरिका के दौरे पर जा रहा है। कुछ दिन पहले ही एक दौर की बातचीत के बाद टीम वापस लौट आई थी। भारतीय दल ने वाशिंगटन में 26 जून से 2 जुलाई तक व्यापार वार्ताएं की थीं। इन वार्ताओं में कुछ प्रगति हुई, लेकिन कृषि और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में मतभेद बने रहे।
यह दौरा 1 अगस्त से लागू होने वाले अमेरिकी टैरिफ़ की समय सीमा से पहले एक पूर्ण व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में बड़ा क़दम है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका 'भारत के साथ एक समझौते के क़रीब है।' दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मज़बूत करने के लिए यह वार्ता अहम मानी जा रही है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम अंतरिम या द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण में कोई अंतर नहीं कर रहे हैं। हम एक पूर्ण समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। जो भी अंतिम रूप लेगा, उसे हम अंतरिम समझौते के रूप में पेश कर सकते हैं, और बाकी मुद्दों पर वार्ता जारी रहेगी।'
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता न केवल द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि दोनों देशों के आर्थिक हितों को भी सशक्त करेगा। वार्ता में व्यापार शुल्क, बाजार पहुंच, और अन्य व्यापारिक नियमों पर चर्चा होने की संभावना है। अधिकारी ने यह भी साफ़ किया कि भारत इस समझौते को जल्दबाजी में पूरा करने के बजाय एक संतुलित और व्यापक समझौते पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
टैरिफ़ का क्या ख़तरा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 में भारत सहित कई देशों पर 26% जवाबी टैरिफ़ की घोषणा की थी। इसे बाद में 90 दिनों के लिए 10% आधारभूत दर पर निलंबित कर दिया गया था। यह निलंबन 9 जुलाई को ख़त्म हो चुका है और अब 1 अगस्त से नए टैरिफ़ लागू होने की संभावना है। भारत को अभी तक ट्रंप प्रशासन से टैरिफ़ पत्र नहीं मिला है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यदि कोई समझौता नहीं हुआ तो भारतीय निर्यात पर 26% टैरिफ़ लागू हो सकता है।
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव और मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने इसी हफ़्ते कहा था कि सरकार व्यापार वार्ता को अंतिम रूप देने की कोशिश में है। लेकिन क्या यह इतना आसान है?
व्यापार वार्ता का मक़सद क्या?
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए के पहले चरण की वार्ता सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूरी करने का लक्ष्य है। हालांकि, दोनों देश 1 अगस्त से पहले एक अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं ताकि टैरिफ़ के प्रभाव को कम किया जा सके।
भारत का लक्ष्य अपने कपड़ा, चमड़ा, रत्न और आभूषण, रसायन, प्लास्टिक और झींगा, तिलहन, अंगूर, केले जैसे कृषि उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना है। दूसरी ओर, अमेरिका भारतीय बाजार में अपने कृषि उत्पादों, जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी जीएम फसलों, डेयरी उत्पादों, औद्योगिक सामान, इलेक्ट्रिक वाहनों और वाइन के लिए टैरिफ़ में कमी चाहता है।
वार्ता में सबसे बड़ा विवाद कृषि और डेयरी क्षेत्रों को लेकर है। भारत ने इन क्षेत्रों में टैरिफ़ कम करने या बाजार खोलने से इनकार किया है, क्योंकि ये 80 मिलियन से अधिक छोटे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संवेदनशील हैं। भारतीय अधिकारियों ने साफ़ किया है कि जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों और गाय के दूध के आयात पर कोई समझौता नहीं होगा।
अमेरिका ने भारत से मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम, और अन्य कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच की मांग की है, लेकिन भारत ने इन मांगों को खारिज करते हुए अपनी खाद्य सुरक्षा और किसानों के हितों को प्राथमिकता दी है। भारत ने एक ऐसा प्रस्ताव दिया है जिसमें अमेरिकी निर्यातकों को यह प्रमाणित करना होगा कि उनके उत्पाद जेनेटिकली मॉडिफाइड नहीं हैं।
भारत की रणनीति
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में साफ़ किया है कि भारत किसी भी समय सीमा के दबाव में समझौता नहीं करेगा और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रहेंगे। उन्होंने कहा, 'हम केवल तभी समझौता करेंगे जब यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो। हमारे किसानों और उद्योगों का हित हमारी प्राथमिकता है।'
भारत ने पहले ही मोटरसाइकिल, व्हिस्की, और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कुछ क्षेत्रों में टैरिफ़ कम कर रियायतें दी हैं। इसके बदले भारत अमेरिका से अपने 66 बिलियन डॉलर के निर्यात पर 26% टैरिफ़ से पूरी छूट चाहता है। यदि टैरिफ़ लागू होता है तो 87% भारतीय निर्यात प्रभावित होंगे, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक बड़ा अवसर है, लेकिन यह कई चुनौतियों से भरा हुआ है। भारत अपनी कृषि और डेयरी नीतियों की रक्षा करने के लिए दृढ़ है, जबकि अमेरिका अपने उत्पादों के लिए अधिक बाजार पहुंच चाहता है। अगले कुछ दिन इस बात को निर्धारित करेंगे कि क्या दोनों देश एक अंतरिम समझौते पर पहुंच सकते हैं या भारत को 26% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।