तुर्की की विमानन कंपनी सेलेबी एविएशन, जो भारत के नौ प्रमुख हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवाएं देती थी, को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर बड़ा झटका दिया है। भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) ने 15 मई 2025 को सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी (सिक्योरिटी क्लीयरेंस) को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। इसके जवाब में, सेलेबी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। यह घटनाक्रम भारत-तुर्की के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव और तुर्की के पाकिस्तान समर्थन के बाद सामने आया है।

सेलेबी एविएशन, जिसकी स्थापना 1958 में तुर्की में हुई थी, भारत में पिछले 15 वर्षों से कार्यरत थी। यह कंपनी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोचीन, कन्नूर, गोवा (मोपा), और अहमदाबाद जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्री सेवाओं, कार्गो हैंडलिंग, रैंप सेवाओं, और अन्य सुरक्षा-संवेदनशील कार्यों को संभालती थी। कंपनी के अनुसार, यह भारत में प्रतिवर्ष 58,000 उड़ानों और 5.4 लाख टन कार्गो का प्रबंधन करती थी, जिसमें लगभग 7,800 कर्मचारी कार्यरत थे।

हालांकि, हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव, विशेष रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद, तुर्की द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन भारत के लिए चिंता का विषय बन गया। तुर्की ने न केवल पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन प्रदान किए, बल्कि कथित तौर पर अपने ऑपरेटरों को भी सहायता के लिए भेजा। इसके अलावा, तुर्की ने भारत के के पाकिस्तान पर हमले की निंदा की, जिसके बाद भारत में तुर्की के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ा।

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इस पृष्ठभूमि में, BCAS ने सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी को रद्द करने का आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया, "राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में, सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है।" इस आदेश के बाद, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) सहित कई हवाई अड्डों ने सेलेबी के साथ अपने अनुबंध समाप्त कर दिए।

सेलेबी एविएशन ने भारत सरकार के इस फैसले को "अनुचित" करार देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कंपनी ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने का निर्णय तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह भारत में उसके दीर्घकालिक योगदान को नजरअंदाज करता है। सेलेबी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह तुर्की सरकार या किसी राजनीतिक व्यक्ति से संबद्ध नहीं है। कंपनी ने एक बयान में कहा, "हम एक वैश्विक विमानन सेवा कंपनी हैं, जिसमें कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, यूएई और पश्चिमी यूरोप के अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की 65% हिस्सेदारी है। हमारा भारत में संचालन पूरी तरह से भारतीय प्रोफेशनल द्वारा संचालित होता है।"

सेलेबी ने यह भी जोर दिया कि उसके सभी कार्य भारतीय विमानन और सुरक्षा प्राधिकरणों, जैसे CISF, BCAS, और AAI, द्वारा नियमित रूप से ऑडिट किए जाते हैं। कंपनी ने सोशल मीडिया पर अपनी स्वामित्व संरचना और संचालन को लेकर फैलाई जा रही "गलत सूचनाओं" की निंदा की, विशेष रूप से तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन की बेटी सुमेय्ये से कथित संबंधों को खारिज किया।

BCAS के आदेश के बाद, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, और अन्य हवाई अड्डों ने सेलेबी की सेवाओं को तुरंत समाप्त कर दिया। दिल्ली हवाई अड्डा संचालक DIAL ने कहा कि वह अन्य ग्राउंड हैंडलिंग सेवा प्रदाताओं, जैसे AISATS और बर्ड ग्रुप, के साथ मिलकर कार्य कर रहा है ताकि यात्री और कार्गो सेवाओं में कोई व्यवधान न हो। DIAL ने यह भी आश्वासन दिया कि सेलेबी के कर्मचारियों को नए सेवा प्रदाताओं के साथ समायोजित किया जाएगा।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं कि सेलेबी के कर्मचारियों को बरकरार रखा जाए और सभी प्रभावित हवाई अड्डों पर यात्री और कार्गो हैंडलिंग निर्बाध रूप से हो।"

हालांकि, इस कार्रवाई का सेलेबी की मूल कंपनी, सेलेबी हवा सर्विसी AS, पर भी असर पड़ा। 15 मई को इस्तांबुल स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शेयर 10% तक गिर गए, जिसके बाद बाजार नियामकों को हस्तक्षेप करना पड़ा।

भारत में तुर्की के पाकिस्तान समर्थन के खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है, और कई भारतीयों ने तुर्की और अज़रबैजान की यात्रा योजनाएं रद्द कर दी हैं। शिव सेना (शिंदे) जैसे राजनीतिक दलों ने भी सेलेबी के खिलाफ प्रदर्शन किए और मुंबई हवाई अड्डे से इसके अनुबंध समाप्त करने की मांग की।

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एक्स पर कई यूजर्स ने इस कार्रवाई का समर्थन किया, इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया। एक यूजर ने लिखा, "पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का समर्थन करने वाले तुर्की के खिलाफ यह बड़ा कदम है।" हालांकि, कुछ यूजर्स ने चिंता जताई कि इस फैसले से हजारों भारतीय कर्मचारियों की नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं।

भारत सरकार का यह कदम तुर्की के साथ व्यापारिक और राजनयिक संबंधों में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई भारत की उस नीति को दर्शाती है, जिसमें वह उन देशों के खिलाफ कड़े कदम उठा रहा है जो पाकिस्तान के साथ आतंकवाद को समर्थन देते हैं।