बेरोज़गारी से जूझ रहे युवाओं ने बुधवार रात को केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपने ग़ुस्से का इजहार किया। बेरोज़गार युवाओ ने 9 बजे 9 मिनट तक अपने घरों की लाइटें बंद रखीं और दीया, मोमबत्ती जलाकर सरकार तक अपना दर्द पहुंचाने की कोशिश की। युवाओं की इस मांग को कई बेरोज़गार संगठनों के अलावा कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), समाजवादी पार्टी ने भी समर्थन दिया। 

इस मौक़े पर युवाओं ने केंद्र सरकार से रोज़गार देने की मांग की और कहा कि वे इसे लेकर लंबे समय से आवाज़ उठा रहे हैं। रोज़गार के अलावा उन्होंने रुकी हुई भर्तियों को चालू करने, परीक्षाओं की तिथियों को घोषित करने एवं नई नौकरियों का नोटिफिकेशन जारी करने की भी मांग की। 

इस आंदोलन को लेकर ट्विटर पर #9Baje9Minute, #9बजे9मिनट #NoMoreBJP इन हैशटैग के साथ लगातार ट्वीट किए गए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बेरोज़गारों को समर्थन देते हुए ट्वीट किया था, ‘मुट्ठियां जब बंध जाती हैं नौजवानों की, नींद उड़ जाती है ‘ज़ुल्मी हुक्मरानों’ की।’ 

यादव ने कहा था कि आइए युवाओं व उनके परिवार की बेरोज़गारी-बेकारी के इस अंधेरे में हम आज रात 9 बजे, 9 मिनट के लिए बत्तियां बुझाकर क्रांति की मशाल जलाएं, उनकी आवाज़ में आवाज़ मिलाएं!

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि देश के युवाओं को रोजगार चाहिए। इसके बदले सरकार कोरे भाषण, लाठियां और उपेक्षा देती है। 

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी इस आंदोलन का पूरी तरह समर्थन करती है। यादव ने पूछा कि नीतीश सरकार खाली पड़े पदों को क्यों नहीं भरती। उन्होंने कहा कि बिहार से लगातार पलायन हो रहा है। यादव ने कहा कि सत्ता में आने के बाद हर हाथ को रोज़गार देने का काम उनकी सरकार करेगी। 

पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी इस आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा है कि युवाओं के पास रोज़गार नहीं है और पीड़ित लोग इसके तहत आवाज़ उठा रहे हैं। 

बेरोज़गारों ने 5 सितंबर को 5 मिनट तक ताली-थाली बजाने का अभियान चलाया था। इसे सोशल मीडिया पर अच्छा-खासा समर्थन मिला था। 

लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में लोगों का रोज़गार छिना है। काम-धंधे रफ़्तार नहीं पकड़ सके हैं, अर्थव्यवस्था गर्त में जा चुकी है, नौकरियों से लोगों को निकाला जा रहा है, ऐसे में बेरोज़गार युवाओं के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी बातों को सुने और उन्हें रोज़गार दे और इसी के लिए युवाओं द्वारा सरकार से रोज़गार देने की मांग की जा रही है।