रूस से तेल व्यापार रोकने के दबाव के बाद अब अमेरिका चाहता है कि भारत, अमेरिका से मक्का भी खरीदे । अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत से सवाल किया है कि वो अमेरिकी कॉर्न (मक्का) के लिए अपना बाजार क्यों नहीं खोल रहा। लुटनिक ने कहा – “भारत ये कहता रहता है कि उसके पास 1.4 अरब लोग हैं। तो फिर वो 1.4 अरब लोग अमेरिका से एक-एक बुशेल कॉर्न क्यों नहीं खरीदते?” आपको बता दें कि बुशेल एक माप है, जो 35.2 लीटर के बराबर होता है और इसका इस्तेमाल सूखी चीज़ों को मापने के लिए होता है।
भारत मक्के का बहुत बड़ा उत्पादक है। लेकिन पिछले कुछ सालों में हमारी मक्के की खपत इतनी बढ़ गई है कि हमें बाहर से भी मक्का लाना पड़ रहा है। 2024-25 में भारत ने कुल 9.7 लाख टन मक्का आयात किया। इसमें सबसे ज्यादा मक्का आया म्यांमार से – 5.3 लाख टन, और यूक्रेन से – 3.9 लाख टन। लेकिन अमेरिका से सिर्फ 1,100 टन! अब सवाल ये है कि अमेरिका, जो दुनिया का सबसे बड़ा मक्का उत्पादक है, भारत को इतना कम मक्का क्यों बेच पा रहा है? इसके दो बड़े कारण हैं: भारत में 5 लाख टन तक मक्का आयात करने पर सिर्फ 15% टैक्स लगता है। लेकिन इससे ज्यादा लाओ, तो 50% टैक्स देना पड़ता है। यानी, ज्यादा मक्का लाना महंगा पड़ता है। भारत में जीन-संशोधित यानी GMO मक्का आयात करने की सख्त मनाही है। और अमेरिका का 94% मक्का GMO ही है। तो ये एक बड़ी रुकावट है।
अमेरिका मक्के का पावर हाउस है! 2024-25 में अमेरिका ने 37.76 करोड़ टन मक्का पैदा किया और 7.17 करोड़ टन निर्यात किया। और 2025-26 में तो ये आंकड़ा और बढ़ने वाला है – 42.71 करोड़ टन उत्पादन और 7.5 करोड़ टन निर्यात! ये मक्का अमेरिका के मिडवेस्ट राज्यों जैसे आयोवा, इलिनॉय, नेब्रास्का, और मिनेसोटा में उगता है। 

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अमेरिका का मक्का सस्ता भी है। चूँकि अमेरिका की मक्का की किस्में जीन-संशोधित हैं, इसलिए ये दुनिया की सबसे सस्ते मक्के में शामिल है। इसका इस्तेमाल सिर्फ इंसानों के खाने के लिए ही नहीं बल्कि सीधे पशुओं के चारे के रूप में भी किया जाता है।
जुलाई 2025 में अमेरिका का मक्का 4.29 डॉलर प्रति बुशेल था, यानी करीब 15 रुपये प्रति किलो। भारत में यही मक्का 22-23 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, और सरकार ने MSP 24 रुपये प्रति किलो तय किया है। तो साफ है, अमेरिका का मक्का सस्ता है, और वो इसे भारत जैसे बड़े बाजार में बेचना चाहता है। लेकिन समस्या ये है कि अब तक अमेरिका के मक्के का सबसे बड़ा खरीदार चीन था। 
2022 में अमेरिका ने 18.57 अरब डॉलर का मक्का निर्यात किया, जिसमें से 5.21 अरब डॉलर का मक्का चीन ने खरीदा। लेकिन 2024 में चीन ने अपनी खरीदारी घटाकर सिर्फ 33.1 करोड़ डॉलर कर दी। इस साल जनवरी से जुलाई तक तो और भी कम – सिर्फ 24 लाख डॉलर! इसलिए अमेरिका को नए बाजार चाहिए, और भारत, जहां 1.4 अरब लोग हैं, अमेरिका लिए एक बड़ा मौका है। क्योंकि इस बार अमेरिका में मक्के की पैदावार ज्यादा है लेकिन खरीदार कम । 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी कृषि संगठनों ने चेतावनी दी है कि इस साल अमेरिका के किसान भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, और इसकी बड़ी वजह चीन के साथ आर्थिक तनाव है।
अप्रैल से ही बीजिंग और वॉशिंगटन के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है, जिससे अमेरिका की फसलों के लिए चीन से आने वाले ऑर्डर में भारी गिरावट आ गई है। हालाँकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता चल रही है, लेकिन टेक्नोलॉजी की पहुँच, टैरिफ और रेयर अर्थ निर्यात जैसे मुद्दों पर विवाद सुलझाना अभी एक चुनौती है । वॉशिंगटन जब चीन के साथ अपनी व्यापार बातचीत निपटा रहा है, तब ट्रंप प्रशासन अमेरिका के किसानों के लिए एक नया बाजार बनाने की कोशिश कर रहा है – जिसमें भारत को अहम जगह दी जा रही है, क्योंकि भारत अमेरिका के लिए बड़ा बाजार साबित हो सकता है ।
इसलिए अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर भारत अमेरिकी मक्का खरीदने से मना करता है तो वो अमेरिका के बाजार में अपनी पहुँच खो सकता है। लुटनिक ने ये भी कहा कि भारत और अमेरिका का रिश्ता एकतरफा है। लुटनिक ने कहा – “भारत अपना सामान हमें बेचता है और हमारा फायदा उठाता है। भारत हमें अपनी अर्थव्यवस्था में घुसने नहीं देता है और खुद हमारे बाजार में खुल कर फायदा उठाता है। ।”
लुटनिक ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से कहा है – “अपने आयात शुल्क कम करो, हमें वैसे ट्रीट करो जैसे हम तुम्हें ट्रीट करते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप प्रशासन “सालों की गलतियों को ठीक करना चाहता है, इसलिए हम चाहते हैं कि जब तक ये सुधार नहीं हो जाता तब तक टैक्स दूसरी तरफ भी लगाया जाए।” उन्होंने कहा – “यही राष्ट्रपति का तरीका है। या तो आप इसे मान लीजिए, वरना दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता के साथ कारोबार करना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा।”
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के दोबारा शुरु होने से पहले अमेरिका चाहता है कि भारत उसका सस्ता और भरपूर मक्का खरीदे, लेकिन भारत की टैरिफ और GMO नीतियां इस रास्ते में रोड़ा हैं। दूसरी तरफ, भारत में मक्के की मांग इतनी तेजी से बढ़ रही है कि भविष्य में आयात बढ़ाना पड़ सकता है। आपको क्या लगता है? क्या भारत को अमेरिका से ज्यादा मक्का खरीदना चाहिए?

मक्का और इथेनॉल विवाद  

क्या अमेरिकी मक्का का संबंध भारत की इथेनॉल की होड़ से है? भारत में इथेनॉल चर्चा में है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में इथेनॉल के फायदे बताए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका को लग रहा है कि भारत भविष्य में इथेनॉल की खपत बढ़ाएगा। भारत 2023 तक मक्का का निर्यातक था, लेकिन ईंधन मिश्रण के लिए इथेनॉल उत्पादन हेतु मक्का के इस्तेमाल ने उसे आयातक बना दिया। चीन द्वारा अपने अनाज का आयात न करने और भारत द्वारा मक्का आयात न करने से अमेरिका की हताशा, ट्रम्प के सहयोगी के इस हमले के पीछे है।