पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-अमेरिका संबंधों में चल रही तनातनी की कहानी को पलट दिया। रूसी तेल और यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका को लेकर कई सप्ताह तक भारत की आलोचना करने के बजाय मंगलवार शाम को मोदी को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। मोदी भी इससे काफी खुश नज़र आए और ट्रम्प का फौरन शुक्रिया अदा किया। मोदी ने एक्स पर इस बारे में लिखा।
मोदी ने एक्स पर लिखा- मेरे मित्र, राष्ट्रपति ट्रम्प, मेरे 75वें जन्मदिन पर आपके फ़ोन कॉल और हार्दिक शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। आपकी तरह, मैं भी भारत-अमेरिका व्यापक संबंधों और वैश्विक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूँ। हम यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आपकी पहल का समर्थन करते हैं।
कई महीने से ट्रम्प रूस से तेल आयात को लेकर भारत की आलोचना कर रहे थे। उन्होंने भारत को यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचने में भागीदार बताया। फिर भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी का भारी टैरिफ लगा दिया। लेकिन मंगलवार को, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को फ़ोन किया, बिना किसी झिड़की के, जन्मदिन की शुभकामनाएँ दीं और संघर्ष को खत्म करने में भारत के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
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प्रधानमंत्री मोदी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को हुआ था, और आज वे 75 वर्ष के हो गए। ट्रम्प ने व्यक्तिगत रूप से कॉल करके उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। हालांकि इसका बहुत मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। लेकिन दोनों देशों के बीच अभी संबंधों की जो स्थिति है, उसमें यह कॉल महत्वपूर्ण है। सूत्रों के अनुसार, बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार, और ग्लोबल शांति पर चर्चा की। ट्रम्प ने कहा, "पीएम मोदी मेरे अच्छे मित्र हैं, और भारत-अमेरिका की दोस्ती दुनिया की सबसे मजबूत साझेदारियों में से एक है।"
ट्रुथ सोशल पर ट्रम्प ने लिखा है: "अभी-अभी मेरे मित्र, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर बहुत अच्छी बातचीत हुई। मैंने उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं! वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। नरेंद्र: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध समाप्त करने में आपके समर्थन के लिए धन्यवाद!"
यह फोन कॉल और सोशल मीडिया पर संदेशों का आदान-प्रदान न सिर्फ अपने टाइमिंग की वजह से, बल्कि हाल के दोनों के बयानों के विरोधाभास के कारण भी उल्लेखनीय है। कुछ ही हफ़्ते पहले, वाशिंगटन भारत की आलोचना कर रहा था। मास्को से तेल ख़रीद को युद्ध को बढ़ावा देने का दोषी ठहरा रहा था। इसे अभूतपूर्व ट्रेड वॉर के औचित्य के रूप में इस्तेमाल कर रहा था। भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ, और रूसी आयातों से जुड़े 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ इसकी वजह बने हुए थे। 
गौर से देखिए, इस महीने की शुरुआत में ही कूटनीतिक माहौल बदलने लगा। 6 सितंबर को ट्रंप ने अपना रुख़ नरम करते हुए भारत-अमेरिका संबंधों को "विशेष" बताया और ज़ोर देकर कहा कि "इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।" प्रधानमंत्री मोदी ने तुरंत जवाब दिया और अमेरिका को अपना "घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार" बताया। इसके बाद के दिनों में, ट्रम्प ने व्यापार तनाव कम करने के संकेत दिए और यह विश्वास जताया कि वार्ता सफल होगी, जबकि मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने की बात कही।

नई दिल्ली में ट्रेड डील पर फिर बातचीत 

भारत और अमेरिका के बीच डिप्लोमैटिक संबंधों में मंगलवार को तेज़ी आई, जब दोनों पक्षों ने नई दिल्ली में ट्रेड डील पर बातचीत फिर से शुरू की। यह पिछले महीने वाशिंगटन द्वारा रूस के साथ तेल व्यापार जारी रखने के विरोध में भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाए जाने के बाद पहली आमने-सामने की बातचीत थी।
मंगलवार को लगभग सात घंटे तक चली इस दिन भर की चर्चा को दोनों सरकारों ने "पॉज़िटिव और दूरदर्शी" बताया। मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में संयुक्त राज्य अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कार्यालय के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की।
वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, दोनों पक्ष एक "पारस्परिक रूप से लाभकारी" व्यापार समझौते को शीघ्रता से संपन्न करने के लिए प्रयास तेज़ करने पर सहमत हुए। अधिकारियों ने ज़ोर देकर कहा कि मंगलवार की वार्ता औपचारिक छठे दौर की वार्ता नहीं थी, जो अगस्त में रुक गई थी, बल्कि अगले चरण की वार्ता के लिए ज़मीन तैयार करने की एक शुरुआती पहल थी।
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बहरहाल, बातचीत की बहाली से सुलह की एक झलक मिली है। टकराव छोड़कर आगे बढ़ने का एक मौका मिला है। जिस पर दोनों पक्ष अब सार्वजनिक रूप से जोर दे रहे हैं कि उनका लक्ष्य है: एक "व्यापक, संतुलित और दूरदर्शी" साझेदारी जो तेल, टैरिफ और यूक्रेन युद्ध पर मतभेदों को दूर करने में सक्षम है। हालांकि ये सब क्या था, इसकी सच्चाई कभी न कभी सामने आएगी। क्योंकि ट्रम्प लगातार तीखी बयानबाज़ी कर रहे थे, लेकिन अब अचानक उन्होंने यू टर्न ले लिया है।