अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सनसनीखेज बयान में दावा किया है कि भारत पर हाल ही में लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ़ ने शायद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन युद्ध पर चर्चा के लिए अलास्का में उनसे मुलाकात करने के लिए मजबूर किया। ट्रंप ने यह बात फॉक्स न्यूज रेडियो के ‘द ब्रायन किल्मीड शो’ में कही। उन्होंने भारत पर लगाए गए टैरिफ को रूस के तेल व्यापार पर एक बड़ा झटका बताया। हालाँकि, रिपोर्टें हैं कि ट्रंप के दबाव और टैरिफ़ लगाने का असर रूस से तेल आयात पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा है।

भारत पर टैरिफ और रूस का तेल

ट्रंप ने अपने साक्षात्कार में कहा कि हर चीज का असर होता है। उन्होंने बताया कि भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ़ ने भारत को रूस से तेल खरीदने से काफी हद तक रोक दिया, जबकि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक था। ट्रंप ने कहा, 'जब आप अपने दूसरे सबसे बड़े ग्राहक को खो देते हैं और शायद पहला सबसे बड़ा ग्राहक भी खोने की कगार पर हों तो इसका निश्चित रूप से असर पड़ता है'।
पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस ने भारत से आयात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया। यह कदम भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद के जवाब में उठाया गया था। इसे ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित करने का आरोप लगाया। भारत ने इन उपायों को ग़लत, अनावश्यक और अन्यायपूर्ण करार देते हुए अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूसी तेल आयात को जरूरी बताया।

अलास्का में ट्रंप-पुतिन मुलाकात

ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में 15 अगस्त 2025 को होने वाली मुलाकात पर भारत की नजरें टिकी हैं। यह मुलाकात यूक्रेन युद्ध को ख़त्म करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। ट्रंप ने इस मुलाकात को शतरंज के खेल की तरह बताया, जिसमें वह पुतिन के साथ शांति समझौते की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि पुतिन अब समझ गए हैं कि उन्हें एक समझौता करना होगा।'

ट्रंप ने यह भी साफ़ किया है कि वह स्वयं शांति समझौते की शर्तों पर बातचीत नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं उनका सौदा तय नहीं करूंगा। मैं उन्हें अपना सौदा तय करने दूंगा'। 

ट्रंप ने कहा है कि पुतिन के साथ मुलाकात के बाद वह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से बात करेंगे और दूसरी मुलाकात में 'सीमाओं, भूमि आदि' जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।

अमेरिकी कोषाध्यक्ष का कड़ा रुख

अमेरिकी कोषाध्यक्ष स्कॉट बेसेन्ट ने भी भारत पर और सख्ती की चेतावनी दी है। उन्होंने ब्लूमबर्ग टीवी पर कहा, 'हमने रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर सेकंडरी टैरिफ़ लगाए हैं। अगर अलास्का वार्ता अच्छी नहीं रही तो मैं देख सकता हूँ कि भारत पर और अधिक प्रतिबंध या टैरिफ बढ़ सकते हैं।'

बेसेन्ट ने यूरोपीय देशों को भी आड़े हाथों लिया, जिन्हें उन्होंने रूसी कच्चे तेल से बने भारतीय रिफाइनरी उत्पादों को खरीदने के लिए आलोचना की। उन्होंने कहा, 'यूरोपीय देश हमें उपदेश देना बंद करें और रूस पर वही प्रतिबंध लगाएं जो अमेरिका ने लगाए हैं।' उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिमी देशों को एकजुट होकर काम करना होगा ताकि ट्रंप को बातचीत में अधिकतम लाभ मिल सके।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ़ को ग़लत बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का कहना है कि रूसी तेल आयात राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा के लिए ज़रूरी है। भारत अब अलास्का वार्ता के परिणामों पर नज़र रख रहा है, क्योंकि इसका असर व्यापारिक तनावों को कम करने में मदद कर सकता है।

25 अगस्त को अमेरिकी वार्ताकारों के नई दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है, जहाँ रूसी तेल और अन्य व्यापारिक विवादों पर चर्चा फिर से शुरू हो सकती है। हालाँकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का कृषि और डेयरी बाजारों की रक्षा करने का दृढ़ रुख बातचीत में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

ट्रंप के टैरिफ का असर नहीं: रिपोर्ट

ट्रंप द्वारा हाल ही में भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा के बावजूद भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरियों ने अपनी रूसी तेल आयात रणनीति में कोई बदलाव नहीं किया है। शीर्ष अधिकारियों के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी है कि रूसी तेल की खरीद पूरी तरह से आर्थिक और वाणिज्यिक विचारों पर आधारित है।
पिछले कुछ हफ्तों में रूस से तेल आयात में कमी देखी गई है। हालांकि,  रिफाइनरी क्षेत्र के अधिकारियों का कहना है कि यह कमी रूसी तेल पर छूट के कम होने के कारण है, न कि अमेरिकी दबाव या किसी अन्य कारण से। भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अध्यक्ष अरविंदर सिंह साहनी ने कहा, 'हमें सरकार से कोई निर्देश या संकेत नहीं मिला है। हम अपनी कच्चे तेल की खरीद रणनीति को आर्थिक आधार पर जारी रख रहे हैं। यह एक वाणिज्यिक प्रक्रिया थी और रहेगी।' इसी तरह, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विकास कौशल ने कहा, 'हम रूसी तेल खरीदना बंद नहीं कर रहे हैं; यह निर्णय पूरी तरह से आर्थिक आधार पर लिया जाएगा।' बीपीसीएल के निदेशक (वित्त) वेत्सा रामकृष्ण गुप्ता ने कहा, 'रूसी तेल पर छूट अब केवल 1.5 डॉलर प्रति बैरल तक सिमट गई है, जिसके कारण आयात की मात्रा में थोड़ी कमी आई है।'

बहरहाल, ट्रंप का यह बयान वैश्विक व्यापार और कूटनीति में एक नया आयाम है। भारत पर लगाए गए टैरिफ ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया है, बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे जटिल मुद्दों पर भी असर डाला है। अलास्का में होने वाली ट्रंप-पुतिन मुलाकात के परिणाम न केवल यूक्रेन युद्ध के भविष्य को प्रभावित करेंगे, बल्कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों और वैश्विक ऊर्जा बाजारों पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है।