भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को चौंकाने वाले अंदाज़ में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य समस्याओं को बताया है। यह घोषणा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन हुई, जो पहले से ही विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी बहस के लिए चर्चा में था। धनखड़ का इस्तीफा देश की राजनीति में एक अहम घटना के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि वह देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन थे।

जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेजते हुए कहा है, 'स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए मैं भारत के उपराष्ट्रपति के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूँ।' उन्होंने अपने पत्र में राष्ट्रपति और देश की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय हमेशा देश के हित को सर्वोपरि रखने का प्रयास करते रहे।
धनखड़ ने अपने स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत जानकारी साझा नहीं की, लेकिन सूत्रों के अनुसार, वह पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। हाल ही में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उनके आवास पर मुलाकात की थी, जिसमें केजरीवाल ने उनके स्वास्थ्य की कामना की थी।

संसद के मानसून सत्र का माहौल

21 जुलाई को शुरू हुआ मानसून सत्र 21 अगस्त तक चलेगा। सत्र में पहले से ही कई मुद्दों पर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तनावपूर्ण माहौल रहने की संभावना थी। विपक्ष ने पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) जैसे मुद्दों को उठाने की योजना बनाई थी। धनखड़ ने सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों से रचनात्मक राजनीति और आपसी सम्मान की अपील की थी। उन्होंने कहा था, 'हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, असहमतियाँ हो सकती हैं, लेकिन हमारे दिलों में कड़वाहट क्यों हो?'

खड़गे ने सरकार को घेरा

पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर मोदी सरकार सोमवार को बुरी तरह घिर गई। संसद के बाहर पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई दावे किए। इसी मुद्दे पर राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जोरदार हमला बोला। खड़गे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के दावे पर सवाल उठाए। खड़गे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ज़िम्मेदार आतंकवादी अभी तक पकड़े नहीं गए हैं। उन्होंने सरकार से इस मामले में साफ़ जानकारी मांगी।

खड़गे ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत नोटिस देते हुए कहा, “मैंने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर नोटिस दिया है। आज तक आतंकवादी पकड़े नहीं गए हैं। सभी दलों ने सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया था। सरकार को हमें बताना चाहिए कि इस मामले में क्या हुआ।”

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और प्रशासनिक करियर लंबा रहा है। 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गाँव में जन्मे धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की और राजस्थान विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और फिर एलएल.बी. की डिग्री हासिल की।

उन्होंने 1989 से 1991 तक लोकसभा सांसद के रूप में कार्य किया और 1990-91 में चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे। इसके बाद वे 1993 से 1998 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 

धनखड़ 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे और 2022 में उन्हें भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ ने कई अहम कदम उठाए।

विपक्ष के साथ तनावपूर्ण संबंध

धनखड़ के कार्यकाल के दौरान विपक्ष के साथ उनके संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे। 2024 में विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी, जिसमें उन्हें पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया गया था। विपक्ष ने दावा किया था कि धनखड़ ने संसदीय कार्यवाही में विपक्षी सांसदों को बोलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया और सत्तापक्ष के पक्ष में कार्य किया। हालांकि, यह प्रस्ताव तकनीकी आधारों पर खारिज कर दिया गया था

धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब सवाल उठ रहा है कि उपराष्ट्रपति का अगला पदभार कौन संभालेगा। संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत उपराष्ट्रपति का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से लागू हो जाता है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू करनी होगी। इस बीच, राज्यसभा की कार्यवाही को उप-सभापति पैनल के सदस्य संभाल सकते हैं।