Vote Chori ECI Rahul Gandhi: वोट चोरी के आरोपों से अपनी विश्वसनीयता खाते जा रहे भारत के चुनाव आयोग यानी ईसीआई ने नेता विपक्ष राहुल गांधी से फिर हलफनामा मांगा है। राहुल ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में अनियमितताओं के सबूत पेश किए हैं।
राहुल गांधी ने वोट चोरी के सबूत पेश किए हैं लेकिन चुनाव आयोग इधर उधर की बात कर रहा है
भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में हेरफेर के उनके आरोपों को शपथ पत्र के साथ औपचारिक रूप से प्रस्तुत करने के लिए कहा है। यह दूसरी बार है जब आयोग ने गांधी से उनके दावों के समर्थन में ठोस सबूत मांगे हैं।
कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर उनके द्वारा 7 अगस्त को बेंगलुरु में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों और सबूतों को शपथ के तहत जमा करने का अनुरोध किया। सीईओ ने कहा कि यदि गांधी अपने दावों को सही मानते हैं, तो उन्हें पंजीकरण ऑफ इलेक्टर्स नियम, 1960 के नियम 20(3)(बी) के तहत हस्ताक्षरित शपथ पत्र के साथ यह जानकारी देनी होगी, जिसमें उन मतदाताओं के नाम शामिल हों, जिनके बारे में अनियमितता का दावा किया गया है।
10 अगस्त के नोटिस में सीधे तौर पर राहुल गांधी के इस दावे को चुनौती दी गई है कि 70 वर्षीय मतदाता शकुन रानी ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के आंकड़ों के आधार पर दो बार मतदान किया था। नोटिस में कहा गया है कि सीईओ कार्यालय की शुरुआती जांच में पाया गया कि शकुन रानी ने केवल एक बार वोट डाला था। नोटिस में आगे कहा गया है, "आपसे अनुरोध है कि वे दस्तावेज उपलब्ध कराएं जिनके आधार पर आपने निष्कर्ष निकाला है कि शकुन रानी या किसी अन्य ने दो बार वोट दिया है, ताकि इस कार्यालय द्वारा विस्तृत जांच की जा सके।" कर्नाटक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी. अंबुकुमार द्वारा जारी पत्र में कहा गया है, "इस कार्यालय द्वारा की गई प्रारंभिक जांच से यह भी पता चला है कि आपके द्वारा प्रस्तुतीकरण में दिखाया गया टिक मार्क वाला दस्तावेज मतदान अधिकारी द्वारा जारी किया गया दस्तावेज नहीं है।"
राहुल गांधी ने शुक्रवार को बेंगलुरु में 'वोट अधिकार रैली' को संबोधित करते हुए निर्वाचन आयोग पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 1 करोड़ नए मतदाता अचानक शामिल हुए, जिनका वोट बीजेपी को गया। गांधी ने यह भी कहा कि कर्नाटक में उनकी पार्टी के सर्वे में 15-16 सीटें जीतने की उम्मीद थी, लेकिन वे केवल 9 सीटें ही जीत सके।
गांधी ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब उन्होंने मतदाता सूची की सॉफ्ट कॉपी और वीडियो फुटेज की मांग की, तो आयोग ने इसे खारिज कर दिया और कानून में बदलाव कर वीडियो को 45 दिनों बाद नष्ट करने का नियम बना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में आयोग की वेबसाइट बंद कर दी गई, क्योंकि डेटा के आधार पर सवाल उठने से उनकी संरचना ढह सकती थी।
निर्वाचन आयोग ने गांधी के आरोपों को "निराधार" और "गैर-जिम्मेदाराना" करार देते हुए खारिज किया है। आयोग ने कहा कि वह इस तरह के बयानों को नजरअंदाज करता है और अपने अधिकारियों को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करने का निर्देश देता है।
कर्नाटक के सीईओ ने यह भी स्पष्ट किया कि 2 अगस्त को राहुल गांधी को पत्र लिखकर उनके दावों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन कांग्रेस की ओर से कोई जवाब नहीं आया। आयोग ने कहा कि गांधी ने अब तक किसी भी मुद्दे पर आयोग को कोई पत्र नहीं लिखा है, और उनके द्वारा की जा रही "धमकियां" और "आरोप" आश्चर्यजनक हैं।
राहुल गांधी ने अपने आरोपों को दोहराते हुए कहा कि उनके पास "100% सबूत" हैं कि निर्वाचन आयोग बीजेपी के लिए "वोट चोरी" में शामिल है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब यह सबूत सामने आएगा, तो आयोग के पास छिपने की कोई जगह नहीं होगी।
यह विवाद उस समय और गहरा गया जब विपक्षी दलों के नेताओं ने बिहार में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के मुद्दे पर लोकसभा में हंगामा किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर इस पर चर्चा की मांग की।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि वह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से काम करता है और किसी भी तरह की शिकायत के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, राहुल गांधी के आरोपों और आयोग की प्रतिक्रिया ने देश में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर एक नई बहस छेड़ दी है।
दरअसल, चुनाव आयोग ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए बिहार में अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध डिजिटल और मशीन से पढ़े जाने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची को हटा दिया है। स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार इन सूचियों को 1 अगस्त 2025 को अपलोड किया् गया था, लेकिन अब इनकी जगह स्कैन की गई कॉपी को अपलोड किया गया है। आपको याद होगा राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के फौरन बाद चुनाव आयोग ने कुछ राज्यों की मतदाता सूची के लिंक को बंद कर दिया था। उसके बाद उनमें डिजिटल की जगह स्कैन मतदाता सूची डाल दी। चूंकि बिहार पर सबकी नज़र है तो इसका पता फौरन ही चल गया।
राहुल इफेक्ट
चुनाव आयोग फिर से एक्सपोज हो गया है! मतदाता सूची में गड़बड़ियों के गंभीर आरोप झेल रहे चुनाव आयोग ने अब बिहार में डिजिटल ड्राफ्ट मतदाता सूची को हटा लिया है। इसने इसकी जगह पर स्कैन की हुई मतदाता सूची अपलोड कर दी है। इसका सीधा मतलब है कि मतदाता सूची की पड़ताल करना अब बेहद मुश्किल हो गया है।