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तीन महीने तक बैंक का ईएमआई चुकाने की ज़रूरत नहीं, जानें क्यों?

यदि आपने बैंक से कोई क़र्ज़ ले रखा है और इस महीने की ईएमआई नहीं दे पाए हैं तो परेशान न हों। रिज़र्व बैंक ने एक बेहद अहम फ़ैसले में सभी तरह के क़र्जों की मासिक किश्त यानी ईएमआई की वसूली पर तीन महीने की रोक लगा दी है।
यानी यदि कर्ज़ लेने वाला कोई आदमी मार्च से शुरू होकर अगले तीन महीने तक किश्त नहीं चुकाता है तो उसके ख़िलाफ़ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। 
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रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास ने शुक्रवार को कहा : 

'सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश जारी कर दिया गया है कि वे अगले तीन महीने तक हर तरह के क़र्ज़ पर किश्त की उगाही पर रोक लगा दें।'


शक्ति कांत दास, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक

यह सभी तरह के बैंकों के सभी तरह के कर्ज़ों पर लागू होगा, यानी ग्रामीण बैंक, सहकारिता बैंक, वित्तीय संस्थाएं भी इसमें आएंगी। इसी तरह हर तरह के क़र्ज़ यानी पर्सनल लोन हो या हाउसिंग लोन हो या एजुकेशन लोन हो या किसी और तरह का लोन हो, आपको तीन महीने तक किश्त देने की ज़रूरत नहीं है। 

रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका एलान किया।  
इस एलान का मतलब यह है कि किश्त नहीं चुकाने पर क़र्ज़ लेने वाला डिफॉल्टर घोषित नहीं होगा, उस पर किसी तरह का ज़़ुर्माना वगैरह नहीं लगाया जाएगा।
बैंक उसके ख़िलाफ़ किसी तरह का कोई क़ानूनी कदम भी नहीं उठा पाएंगे। बस इतना होगा कि उस क़र्ज़ की मियाद तीन महीने के लिए बढ़ जाएगी। 
रिज़र्व बैंक के इस फ़ैसले का मक़सद कोरोना से प्रभावित लोगों को राहत देना है। इस संक्रमण की वजह से लॉकडाउन है और हर तरह की आर्थिक गतिविधियाँ बंद हैं। यह मुमकिन है कि लोगों को वेतन वगैरह मिलने में दिक्क़त हो और वे समय से किश्त न चुका पाएं। उनकी मदद के लिए यह एलान किया गया है कि इस स्थिति में क़र्ज़ का भुगतान देर से हो सकता है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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