आख़िर घर का गहना भी बिके और खेत न ख़रीदा जाए, बेटी की शादी अच्छे घर में न हो, इलाज पर या बच्चों की अच्छी पढ़ाई पर ख़र्च न हो तो उस घर को बिगड़ा ही मानते हैं। गहना बिके और मौज-मस्ती तथा चमक-दमक पर ख़र्च हो तो घर बर्बाद ही होगा। और बर्बादी रोकने के नाम पर यह सब करना तो ज़्यादा चिंता की बात है।
रिज़र्व बैंक की ‘कमाई’ से पैसे लेना कोई पाप नहीं है। पहले की सरकारें भी ऐसा करती रही हैं- बल्कि रिज़र्व बैंक ख़ुद पैसे देता है। पर इतनी रक़म और इस तरह की वसूली पहली बार हुई है।