क्या कहना है सरकार का?
'उत्तर प्रदेश टेम्पोरेरी एग्जेंप्शन फ़्रॉम सर्टन लेबर लॉज़ ऑर्डिनेंस 2020' में कहा गया है कि तीन मामलों को छोड़ कर तमाम श्रम क़ानूनों में छूट दी जा रही है। अर्थात, तीन मामलों को छोड़ कर और किसी मामले में श्रम क़ानून लागू नहीं होंगे।
अध्यादेश में कहा गया है कि राज्य में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए ये बदलाव किए जा रहे हैं। ये बदलाव मौजूदा और नए हर तरह की ईकाइयों पर लागू होंगे।
ऑर्डिनेंस का मतलब?
मध्य प्रदेश में कामकाज की अविध 8 घंटे से बढ़ा कर 12 घंटे करने का प्रस्ताव है। यह व्यवस्था भी कर दी गई है कि किसी भी कर्मचारी को मनमाफ़िक तरीके से नौकरी पर रखा जा सकता है, उसे हटाया भी जा सकता है।
श्रम विभाग पहले श्रम क़ानूनों के उल्लंघन की जाँच करने के लिए कारखानों का मुआयना करता था, वह भी नहीं कर सकेगा। इसी तरह के बदलाव राजस्थान और गुजरात में भी किए गए हैं।
बर्बरतापूर्ण!
सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, 'श्रमिकों को बर्बाद करने का मतलब है आर्थिक विकास को नष्ट करना। भारत को बचाने के लिए बीजेपी के भयानक अजेंडे को रोकना होगा।'
बता दें कि श्रम क़ानूनोें में ये बदलाव ऐसे समय हो रहे हैं जब श्रमिक वर्ग घनघोर संकट में है, बेरोज़गारी चरम पर है। कोरोना वायरस महामारी के पहले से ही लोगों की नौकरियाँ जा रही थीं अब लॉकडाउन के बाद ने तो स्थिति भयावह कर दी है। लॉकडाउन से पहले 15 मार्च वाले सप्ताह में जहाँ बेरोज़गारी दर 6.74 फ़ीसदी थी वह तीन मई को ख़त्म हुए सप्ताह में बढ़कर 27.11 फ़ीसदी हो गई है।
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी यानी सीएमआईई ने यह ताज़ा आँकड़ा जारी किया है। हालाँकि पूरे अप्रैल महीने में बेरोज़गारी दर 23.52 फ़ीसदी रही जो मार्च महीने में 8.74 फ़ीसदी रही थी।