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नीरव मोदी गिरफ़्तार तो हो गए, पर उन्हें वापस लाने पर गंभीर है मोदी सरकार?

क्या हीरों के भगोड़े व्यापारी और किसी समय प्रधानमंत्री के नज़दीक रहे नीरव मोदी जल्द ही भारत लाए जाएँगे? या चुनाव के ऐन पहले यह हवा बनाई जा रही है कि नीरव मोदी को पकड़ कर भारत लाया जाएगा, लेकिन दरअसल वह भारत नहीं आएँगे क्योंकि न तो यह मुमकिन है न ही नरेंद्र मोदी सरकार यह चाहती है?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि बुधवार को लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने नीरव मोदी को गिरफ़्तार कर लिया। यह गिरफ़्तारी वेस्टमिंस्टर कोर्ट की ओर से मोदी के ख़िलाफ़ वारंट जारी होने के बाद हुई। अदालत ने मोदी के प्रत्यवर्तन के लिए भारत सरकार के आग्रह को ब्रिटेन के गृह मंत्री के स्वीकार करने का संज्ञान लेते हुए सोमवार को यह वारंट जारी किया था। 

हफ़्ते भर में क्या होगा?

लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस ने हीरों के इस व्यापारी को गिरफ़्तार तो कर लिया है, उन्हें आज ही वेस्टमिंस्टर कोर्ट में पेश किया जाएगा और इसकी पूरी संभावना है कि उसके तुरन्त बाद उन्हें रिहा भी कर दिया जाएगा। उसके बाद मोदी अदालत की शरण लेंगे, जहाँ वह यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि उन्होंने कोई ग़लत काम नहीं किया है या यह कि भारत में उनकी जान को ख़तरा है या यह कि भारत में उनके साथ न्याय नहीं होगा।

पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट यानी ईडी ने पहले से दायर चार्जशीट के अलावा एक पूरक चार्जशीट दाखिल किया है। यह चार्जशीट पंजाब नेशनल बैंक से 13,000 करोड़ रुपये लेकर रफ़ूचक्कर होने के मामले से जुड़ा हुआ है। 

इस पूरक चार्जशीट के बाद ही भारत सरकार ने ब्रिटेन से नीरव मोदी के प्रत्यवर्तन की माँग दुहराई। 

क्या है गोल्डन वीज़ा?

हीरों के भगोड़े व्यापारी नीरव मोदी ब्रिटेन में टीअर वन के गोल्डन वीज़ा के आधार पर लंदन के महँगे और आलीशान फ़्लैट में रह रहे हैं। यह वीज़ा यूरीपीय संघ के बाहर के उन लोगों को दिया जाता है जो ब्रिटेन में कम से कम 20 लाख पौंड का निवेश किसी कंपनी के शेयर या बॉन्ड में करते हैं। इसके तहत यह निवेश एक बार ही करना होता है, लेकिन उस पैसे को कम से कम पाँच साल तक निकाला नहीं जा सकता है। पाँच साल पूरे होने पर उस आदमी को ब्रिटेन की नागरिकता मिल जाती है। वैसे भी ब्रिटेन में लगातार पाँच साल रहने पर किसी को भी नागरिकता मिल सकती है। गोल्डन वीज़ा नियम के अनुसार यदि वह व्यक्ति और पैसे का निवेश करता है तो उसे पाँच साल पूरा होने के पहले भी नागरिकता दी जा सकती है। 

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लंदन में मोदी का कारोबार

नीरव मोदी ने लंदन के सेंटर पॉयन्ट में  डायमंड होल्डिंग्स नामक कंपनी शुरू की है। इस कंपनी की स्थापना 24 मई, 2018 को की गई थी। घड़ियों और गहनों की खुदरा बिक्री और डिज़ायन के काम के लिए इस कंपनी की स्थापना की गई थी। टाइम्स ऑफ़  इंडिया में छपी ख़बर के मुताबिक़, इस कंपनी का पंजीकृत पता इस प्रकार है-चौथा तल्ला, स्कॉटिश प्रोवीडेंट हाउस, 76/80 कॉलेज रोड, हैरो एचए वन, वन बीक्यू। 

हीरों के इस व्यापारी ने नीरव मोदी लिमिडेट नामक कंपनी का पंजीकरण ब्रिटेन में कराया। इस कंपनी ने दत्तानी चार्टर्ड एकाउंटेन्ट्स नामक कंपनी को अपना चार्टर्ड एकाउंटेन्ट बनाया था। इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ़ इनवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट्स के मुताबिक़, दत्तानी चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स पनामा पेपर्स से जुड़े 53 कंपनियों का कामकाज देखता है।

बेल्जियम में शरण लेने की कोशिश

समझा जाता है कि नीरव मोदी पिछले साल नवंबर में ही भारत छोड़ कर लंदन चले गए। वह इसके पहले यूरोपीय संघ के ही सदस्य देश बेल्जियम भी गए थे और वहां शरण देने की अर्ज़ी दी थी। 

प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव की पत्नी एमी मोदी के ख़िलाफ़ भी वारंट जारी कर दिया है। उनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। 

क्या है सरकार की नीयत?

लेकिन सवाल यह उठता है कि ठीक चुनाव के पहले सरकार के इस क़दम का क्या मतलब है। क्या वाकई नरेंद्र मोदी सरकार नीरव मोदी को गिरफ़्तार कर भारत लाने और उससे पैसे वसूलने को लेकर गंभीर है? कहीं ऐसा तो नहीं कि सिर्फ़ दिखावे के लिए सब कुछ किया जा रहा है और चुनाव के बाद कुछ नहीं होगा, नीरव मोदी लंदन में मजे से काम करते रहेंगे?

इसे समझने के लिए पहले ब्रिटेन के नियम क़ानूनों की बुनियादी बातें जान लेनी होगी। वहाँ की व्यवस्था में 'फ़ेयर ट्रायल' यानी अपनी बात रखने का पूरा सम्मान किया जाता है। किसी संदिग्ध के ख़िलाफ़ जब तक पुख़्ता सबूत नहीं मिलते, उसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। उसके बाद उसे अपनी बात रखने का पूरा हक़ है। 

लंबी क़ानूनी प्रक्रिया

इसके तहत नीरव मोदी गिरफ़्तार हो भी गए तो उन्हें तुरन्त ज़मानत मिल जाएगी। उसके बाद वह अदालत में मामला दायर करेंगे। जब तक यह साबित न हो जाए कि उन्होंने घपला किया है और उन्हें भारत भेजना ज़रूरी है, तब तक वह वहीं सामान्य रूप से कामकाज करते रहेंगे। यदि उन्हें दोषी मान भी लिया जाए तो वह यह तर्क दे सकते हैं कि भारत में उनकी जान को ख़तरा है या यह कि भारत की सरकार या दूसरे लोगों से उन्हें ख़तरा है या यह कि उनके साथ भारत में न्याय नहीं होगा। यह मामला बेहद पेचीदा है, इसमें बहुत समय लगेगा। 

यदि भारत सरकार नीरव मोदी को ब्रिटेन से भारत लाने की कोशिश पूरी ईमानदारी से करेगी तो भी इसमें कई साल लग सकते हैं। यदि अदालत इस मामले को जल्द निपटाने की बात मान लेगी तो भी साल भर से ज़्यादा समय तो लग ही जाएगा। तब तक चुनाव हो चुका रहेगा।

मामला विजय माल्या का

इसे भारत के दो भगोड़ों के उदाहरण से समझा जा सकता है -विजय माल्या और ललित मोदी। विजय माल्या ने भी कई बैंकों से क़र्ज़ लिया और ब्रिटेन चले गए। भारत सरकार ने उनके प्रत्यवर्तन के लिए कहा, उन्हें गिरफ़्तार किया गया, उन्हें ज़मानत मिली और उनका मामला लंदन की एक अदालत में चल रहा है। साल भर से अधिक समय से यह मामला लटका पड़ा है और अब तक वह आराम से लंदन में रह रहे हैं। इंडियन प्रीमियम लीग के तत्कालीन अध्यक्ष ललित मोदी पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे, वह लंदन चले गए। वह वहाँ कई साल से रह रहे हैं। अब तो लोग उन्हें और उनके मामले को भूलने लगे हैं, अब वह ख़बरों में नहीं हैं। 

चुनाव के तारीखों का एलान हो गया है, अंतिम मतदान 19 मई को होगा और 23 मई को नतीजा आ जाएगा। नीरव मोदी की गिरफ़्तारी और उनकी ज़मानत इसी हफ़्ते किसी दिन हो जाएगी, यह तो साफ़ है। लेकिन उसके बाद जो क़ानूनी प्रक्रिया शुरू होगी, वह कितनी भी जल्द हो और भारत सरकार तेज़ी करे तो भी चुनाव के पहले कोई नतीजा नहीं निकल सकता।
यह तो सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन सरकार की नीयत पर संदेह शुरू से है और इसके कारण भी हैं। नियम के मुताबिक़, ब्रिटेन ने नीरव मोदी को वीज़ा देने से पहले भारत से यह पूछा होगा कि उनके ख़िलाफ़ कोई आपराधिक मामला तो नहीं है। वीज़ा जारी होने का साफ़ मतलब है कि भारत ने नीरव मोदी के बारे में कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की होगी। 

चोक्सी को क्लीन चिट

इसे एक दूसरे मामले से समझा जा सकता है। नीरव मोदी के मामा मेहुल चोक्सी भी बैंकों का खरबों रुपए  मार कर भाग गए। वह अंत में कैरिबीयन द्वीप समूह के देश एंटीगा एंड बारबडोस की नागरिकता हासिल करने में कामयाब रहे। उन्होंने वहाँ लाखों डॉलर निवेश किए और उन्हें नागरिकता दे दी गई। जब इस पर बवाल मचा तो भारत स्थित राजदूत ने कहा था कि हमने तो भारत सरकार से पूछा था कि चोक्सी के ख़िलाफ़ कोई मामला तो नहीं है और सरकार ने कोई आपत्ति नहीं की थी। 

यह साफ़ है कि नीरव मोदी के मामले में भी ऐसा ही हुआ होगा। 

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क़मर वहीद नक़वी
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