जम्मू-कश्मीर में पहले भी कर्फ़्यू लगा है, सुरक्षा बलों की गश्त पहले भी हुई है, पुलिस ने पहले भी तलाशी ली है, इंटरनेट कनेक्शन और फ़ोन लाइन पहले भी निष्क्रिय किए गए हैं। पर इस बार की बात कुछ और है। क्या है वह बात? इस बार लोगों की आँखों में गहरी निराशा है, हताशा है, कुंठा है और है पराजय की भावना! ये चीजें आज की कश्मीर घाटी को पहले से अलग करती हैं। यह निराशा, हताशा और कुंठा पहले कभी नहीं देखी गई थी।
इस बार कश्मीर घाटी की फ़िजा बदली हुई है, पहली वाली बात नहीं रही। क्या महसूस कर रहे हैं लोग?
