क्या केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा देने में नाकाम रही है। कश्मीरी पंडितों और बाहरी लोगों पर हमले की घटनाएं बीते कुछ महीनों में बढ़ गई हैं।
राहुल भट की आतंकवादियों के द्वारा हत्या किए जाने के विरोध में कश्मीरी पंडितों ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में जोरदार प्रदर्शन किया। लेकिन इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया।
प्रदर्शनकारी बडगाम में एयरपोर्ट रोड की तरफ बढ़ रहे थे जिन्हें रोकने के लिए भी पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
प्रदर्शन में कश्मीरी पंडितों के समुदाय के सरकारी कर्मचारी भी शामिल थे।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उपराज्यपाल को उनके समुदाय को सुरक्षा देनी चाहिए वरना वे लोग अपनी नौकरियों से सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे देंगे।
उन्होंने सड़कों को जाम कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी की। कुछ जगहों पर कैंडल मार्च भी निकाला गया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अगर प्रशासन उन पर लाठीचार्ज कर सकता है तो वह गुरुवार को राहुल भट की हत्या करने वाले आतंकवादियों को क्यों नहीं पकड़ सका। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती कश्मीरी पंडितों से मिलने बडगाम जाने वाली थीं लेकिन पुलिस ने उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया।
एक और हत्या
उधर, जम्मू-कश्मीर के एक विशेष पुलिस अफसर की भी आतंकवादियों ने शुक्रवार को हत्या कर दी। उनका नाम रियाज अहमद ठोकर था और उन्हें पुलवामा के गुडुरा गांव में उनके घर पर आतंकवादियों ने गोली मार दी थी। ठोकर का स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां उनकी मौत हो गई।
गुरुवार को कुछ आतंकवादी बडगाम जिले के चदूरा गांव में स्थित तहसीलदार के दफ्तर में घुसे और राहुल भट को गोली मार दी। राहुल को अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई। राहुल की उम्र 36 साल थी।
पिछले 6 महीनों में राहुल तीसरे कश्मीरी पंडित हैं जिनकी हत्या की गई है जबकि दो और कश्मीरी पंडित आतंकवादी हमले में घायल हो गए थे। आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर ने राहुल भट की हत्या की जिम्मेदारी ली है।