loader

रिपोर्ट : कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू, 500 ने घर-बार छोड़ा

जम्मू-कश्मीर में 1990 के दशक में आतंकवादियों के निशाने पर आने के बाद जिस तरह पंडितों यानी हिन्दुओं ने घाटी से पलायन किया था, वैसा ही मंजर एक बार फिर दिख रहा है। राज्य में तीन दिन में अलग-अलग आतंकवादी वारदातों में चार हिन्दुओं और एक सिख की हत्या के बाद राज्य का अल्पसंख्यक समुदाय बुरी तरह डरा हुआ है और लोग घाटी छोड़ कर शेष भारत में कहीं बस जाने की कोशिश में हैं।

यह पलायन कितना बड़ा होगा, कितनी तादाद में लोग घाटी छोड़ कर चले जाएंगे, यह आने वाले कुछ हफ़्तों में ही साफ हो जाएगा।

यह भी साफ हो जाएगा कि कश्मीरी पंडितों की बात करने वाली और 1990 के दशक में उनके पलायन पर तत्कालीन सरकारों को निशाने पर लेने वाली बीजेपी इस बार इस पलायन को कैसे रोकती है।

यह अहम इसलिए है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है तो राज्य में उसके नियुक्त राज्यपाल के हाथों में प्रशासन है।

श्रीनगर में आतंकवादी हमले

इसी सप्ताह श्रीगर में एक बहुत ही पुराने और सम्मानित दवा कंपनी के मालिक माखन लाल बिंदरू को उनकी दुकान में सरेआम गोली मार दी गई। उसी दिन आतंकवादियों ने दो अलग-अलग वारदातों में तीन लोगों को गोली मार दी।

इसके दो दिन बाद ईदगाह इलाक़े में दो स्कूल शिक्षकों को गोली मार दी गई।

अहम और अधिक चिंता की बात यह है कि ये सभी हमले सुनियोजित थे, इनके लक्ष्य चुने हुए थे और एक को छोड़ कर बाकी के निशाने पर हिन्दू और सिख थे, जिनमें एक बिहार के भागलपुर का बाशिंदा था।

टीआरएफ़

इनके पीछे 'द रेजिस्टेन्स फोर्स' नामक आतंकवादी गुट है। पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेन्सी आईएसआई ने इस गुट की स्थापना 2020 में इस रणनीति के साथ की कि इसे इस रूप में प्रचारित किया जाए कि यह स्थानीय गुट है, जो भारत में हिन्दूवादी सरकार के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की लड़ाई लड़ रहा है।

द रेजिस्टेन्स फोर्स यानी टीआरएफ़ के इन आतंकवादी हमलों के पीछे होने की वजह से घाटी में ज़्यादा दहशत है और पंडित समुदाय आनन फानन में इसे छोड़ कर बाहर निकल जाना चाहता है।

ख़ास ख़बरें

लौट आए पंडित फिर छोड़ रहे हैं घाटी!

बडगाम ज़िले के शेखपुरा में बने कश्मीरी पंडितों की एक ख़ास कॉलोनी से भी लोग घर-बार छोड़ कर बाहर जाने लगे हैं।

राज्य सरकार ने 2003 में यह विशेष कॉलोनी उन कश्मीरी पंडितों के लिए बनाई थी जो घाटी छोड़ कर बाहर चले गए थे और एक विशेष पैकेज के तहत वापस लौट आए थे।

kashmiri pundits exodus after jammu-kashmir terrorist attack - Satya Hindi

लेकिन श्रीनगर की हालिया वारदातों के बाद इन विशेष इलाक़ों से भी कश्मीरी पंडित पलायन कर रहे हैं।

'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के अनुसार, इस कॉलोनी से कम के कम एक दर्जन पंडितों ने इन दो-तीन दिनों में घर छोड़ दिया है।

2015 में यहाँ आकर रहने वाली शारदा देवी अपने बेटे और पुत्रवधू के साथ घाटी छोड़ कर चली गईं। उन्होंने अख़बार से कहा,

हम कॉलोनी के अंदर सुरक्षित हैं, पर बाहर हमारी कोई सुरक्षा नहीं है। हमें बाहर जाकर काम करना होता है और हम चौबीसों घंटे घर के अंदर नही रह सकते।


शारदा देवी, कश्मीरी पंडित

सांसत में कश्मीरी हिन्दू

उन्होंने साफ साफ कहा कि वे इस असुरक्षा भरे माहौल में रहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं।

शोपियाँ के रहने वाले एक कश्मीरी पंडित ने 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' से कहा कि वे तो 1990 के दशक के दौरान भी घाटी छोड़ कर नहीं गए, पर जिस तरह एक बार फिर उन्हें सुनियोजित ढंग से निशाना बनाया जा रहा, वे वहां नहीं रह सकते।

पीडितों का दर्द

जिस स्कूल शिक्षक दीपक चंद की हत्या श्रीनगर के ईदगाह में कर दी गई, उनकी माँ की बात से घाटी की स्थिति को समझा जा सकता है। कान्ता देवी ने इस अंग्रेजी अख़बार से कहा कि 'वे और उनके परिवार के लोग 1990 के दशक में घाटी छोड़ कर बाहर चले गए थे, लेकिन रोजी रोटी की तलाश में वापस लौट आए और इसकी कीमत जान देकर चुकाई।'

मार दिए गए शिक्षक दीपक चंद के रिश्तेदार विक्की मेहरा ने कहा कि कश्मीर उनके लिए स्वर्ग नहीं, नरक है।

उन्होंने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा, 

1990 के दशक की स्थितियाँ एक बार फिर पैदा हो गई हैं। सरकार हमें सुरक्षा देने में नाकाम रही है।


विक्की मेहरा, मारे गए शिक्षक दीपक चंद के रिश्तेदार

आतंकवादी ने दी धमकी

उन्होंने यह भी कहा कि वे डरे हुए हैं क्योंकि एक आतंकवादी ने उन्हें फ़ोन कर धमकी दी है।

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के संजय टिकरू ने इसके पहले पीटीआई से कहा,

बडगाम, पुलवामा और अनंतनाग जैसे इलाकों से लगभग पाँच सौ कश्मीरी हिन्दू घर बार छोड़ कर जा रहे हैं। कुछ लोग घाटी छोड़ कर जा चुके हैं।


संजय टिकरू, सदस्य, कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति

कश्मीर से कश्मीरियों का कूच!

कश्मीरी पंडितों के एक दूसरे संगठन से जुड़े एक आदमी ने कहा कि सरकार ने 2011 में पलायन किए हुए पंडितों को यहाँ लाकर बसाने की कोशिशें कीं। कुछ लोग यहाँ आकर रहने लगे। पर वे लोग चुपचाप घर-बार छोड़ कर जम्मू व दूसरे जगहों की ओर कूच कर चुके हैं।

इस बीच प्रशासन ने लोगों को 10 दिन की छुट्टी दे दी है।

प्रदर्शन

सैकड़ों पंडितों ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर पीपल्स फ़ोरम के तहत प्रदर्शन किया व रैली निकाली।

इसके अलावा विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, शिवसेना व जागरण मंच ने भी प्रदर्शन किया और पाकिस्तान- विरोधी नारे लगाए।

अफ़ग़ानिस्तान की घटनाओं का असर

अगस्त महीने से ही जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में तेज़ी देखी जा रही है। ये दो महीने का वह समय है जब अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान से धीरे-धीरे अपने सैनिक निकालने शुरू कर दिए थे।

'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' ने केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में लगभग 200 आतंकवादी सक्रिय हैं। सूत्र ने कहा, 'आखिर में जब भी आईएसआई निर्देश देगा, वे आतंकवादी हमलों में शामिल होंगे।

आईएसआई के निशाने पर

एक खुफिया अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया था कि 'पिछले एक महीने में लगभग रोज़ाना सुरक्षा बलों पर विस्फोटकों से हमला हुआ है या राजनी‍तिक नेताओं को निशाना बनाया गया है।'

kashmiri pundits exodus after jammu-kashmir terrorist attack - Satya Hindi

हालाँकि, एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने बताया कि भारतीय एजेंसियाँ पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी लॉन्चपैड के फिर से सक्रिय होने को अफ़ग़ानिस्तान में होने वाली घटनाओं से जोड़कर नहीं देखती हैं। दरअसल, वे उन्हें आईएसआई के गेमप्लान के हिस्से के रूप में देखती हैं।

इन खबरों और वारदातों के बीच तीन दिन के अंदर चार हिन्दुओं की हत्या किए जाने से कश्मीर का अल्पसंख्यक समुदाय डरा हुआ है, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

जम्मू-कश्मीर से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें