लाल क़िले पर आतंकवादी हमले के बाद चल रही ताबड़तोड़ कार्रवाई और कई जगहों पर कश्मीरियों के साथ आ रही भेदभाव की ख़बरों के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि 'हर कश्मीरी मुस्लिम आतंकवादी नहीं है'। दिल्ली के लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए भीषण कार बम विस्फोट के बाद जाँच के दौरान बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई है और गिरफ़्तारियाँ भी हुई हैं।


जम्मू में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विस्फोट की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि किसी भी धर्म में मासूमों की इतनी बर्बरता से हत्या को जायज नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा, 'एक बात हमेशा याद रखनी होगी। जम्मू-कश्मीर का हर निवासी आतंकवादी नहीं है और न ही आतंकवादियों से जुड़ा हुआ है। ये कुछ गिने-चुने लोग हैं जो हमेशा से यहाँ शांति और भाईचारे को बर्बाद करते आए हैं। जब हम जम्मू-कश्मीर के हर नागरिक और हर कश्मीरी मुस्लिम को एक ही नज़रिए से देखते हैं और हर एक को आतंकवादी समझते हैं तो लोगों को सही रास्ते पर लाना बहुत मुश्किल हो जाता है।'

जम्मू के डॉक्टरों की गिरफ़्तारी

विस्फोट के मामले में अब तक जिन संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई है, उनमें कुछ कश्मीरी डॉक्टर भी शामिल हैं। पुलवामा निवासी डॉ. उमर मोहम्मद, पुलवामा का डॉ. मुजम्मिल और अनंतनाग के डॉ. अदील राठर की पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद यानी जेईएम से संबंध सामने आए हैं। इनके अलावा लखनऊ की रहने वाली डॉ. शाहीन सईद भी पुलिस हिरासत में है। डॉ. उमर मोहम्मद लाल क़िला के पास विस्फोट में इस्तेमाल i20 कार चला रहा था। ये सभी हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी में साथ काम करते थे और जाँच में पता चला है कि साज़िश यहीं रची गई थी।


जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अपराधियों को सबसे सख्त सजा मिलनी चाहिए, लेकिन बेकसूरों को इसमें नहीं घसीटा जाना चाहिए। आतंकियों के डॉक्टर होने के सवाल पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'क्या हमने पहले विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों को ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं देखा? यह कौन कहता है कि पढ़े-लिखे लोग इन कामों में नहीं लगते? लगते हैं।'

सुरक्षा चूक पर सवाल

उमर अब्दुल्ला ने विस्फोट को बड़ी सुरक्षा चूक करार देते हुए केंद्र सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक आरोपी डॉक्टर को पहले नौकरी से निकाला गया था, लेकिन उसके बाद क्या जाँच हुई? मुक़दमा क्यों नहीं चला? मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं हैरान हूँ कि नौकरी से निकाले जाने के बावजूद इसके बाद क्या जाँच हुई? क्यों अभियोजन नहीं किया गया? हम केंद्र सरकार को स्थिति सामान्य बनाए रखने में पूरा सहयोग दे रहे हैं और देते रहेंगे।'

जम्मू कश्मीर से और ख़बरें

कश्मीरियों के ख़िलाफ़ भेदभाव की आशंका

मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दिल्ली विस्फोट के बाद कश्मीरी छात्रों, व्यापारियों और आम नागरिकों के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में भेदभाव और बहिष्कार की ख़बरें आने लगी हैं। उमर अब्दुल्ला ने साफ़ किया है कि कुछ लोगों के अपराध की सज़ा पूरे समुदाय को नहीं दी जानी चाहिए। 


जाँच एजेंसियाँ अब भी मामले की तह तक जा रही हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और एनआईए की टीमों ने कई ठिकानों पर छापेमारी की है। अभी तक कुल 6 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें 3 कश्मीरी डॉक्टर प्रमुख हैं। इस घटना ने एक बार फिर कश्मीर और कश्मीरियों को लेकर देश में व्याप्त पूर्वाग्रहों को उजागर किया है, जिसे जम्मू-कश्मीर का नेतृत्व बार-बार ग़लत और अन्यायपूर्ण बताता रहा है।