इसी मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने एसआईटी के जाँच के तौर-तरीक़ों को लेकर नाराज़गी जताई।
अदालत ने कहा कि साज़िश का पता लगाना और मास्टरमाइंड को पकड़ना आवश्यक है और सिर्फ़ मोहरे को पकड़ना किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा। कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने में हो रही देरी पर भी सवाल उठाया।