क्या झामुमो ने झारखंड विधानसभा चुनावों में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण का कार्ड खेला है?
इसके साथ ही यह सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे सोच बीजेपी को चुनौती देना है? या झामुमो बीजेपी के साथ मिल कर ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि उसका सीधा फ़ायदा उसे मिले?
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अनुसूचित जनजाति यानी एसटी के वोटों का बँटवारा हुआ। एसटी वोट मुख्य रूप से बीजेपी और झामुमो में बँटा। बीजेपी को लगभग 30 प्रतिशत एसटी वोट मिले तो तक़रीबन 29 प्रतिशत एसटी वोट शिबू सोरेने की पार्टी की झोली में जा गिरे।