कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम यानी एसआईटी ने आलंद विधानसभा क्षेत्र में कथित ‘वोट चोरी’ मामले में बड़ा खुलासा किया है। एसआईटी की चार्जशीट के अनुसार, पूर्व बीजेपी विधायक सुभाष गुट्टेदार ने उन मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटवाने की साजिश रची, जिसके बारे में वह सोचते थे कि वे उनके पक्ष में वोट नहीं कर सकते हैं। यह प्रयास 2022-23 में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले किया गया, ताकि 2018 की तरह क़रीबी हार न हो।

एसआईटी ने शुक्रवार को बेंगलुरु की मजिस्ट्रेट कोर्ट में क़रीब 22 हज़ार पन्नों की विस्तृत चार्जशीट दाखिल की। इसमें मुख्य आरोपी सुभाष गुट्टेदार और उनके बेटे हर्षानंद गुट्टेदार, निजी सहायक टिप्पेरुद्रा, कलबुर्गी के डेटा सेंटर ऑपरेटर अकरम पाशा, असलम/मुकरम पाशा, मोहम्मद अशफाक और पश्चिम बंगाल के बापी आद्या को आरोपी बनाया गया है। बापी आद्या ने कथित तौर पर चुनाव आयोग की ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँच के लिए ‘ओटीपी बायपास’ का इस्तेमाल किया था।

राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास

चार्जशीट में कहा गया है, ' मुख्य आरोपी सुभाष गुट्टेदार के राजनीतिक लाभ के लिए आलंद विधानसभा क्षेत्र में साजिश रची गई। साजिश यह थी कि वोटर लिस्ट में दर्ज मतदाताओं में से उन संभावित वोटरों के नाम पहचानें जो उनको वोट नहीं देते और उन्हें वोटर लिस्ट से हटा दें।' इन नामों को आरोपी डेटा सेंटर ऑपरेटरों के साथ साझा किया गया।

एसआईटी के अनुसार, 2022 के अंत से 2023 की शुरुआत तक क़रीब 5994 से 6000 नामों को अवैध रूप से हटाने की कोशिश की गई। इनमें से केवल 24 नाम ही वैध पाए गए जो लोग आलंद में नहीं रहते थे। बाकी आवेदन फर्जी थे। डेटा सेंटर ऑपरेटरों को हर डिलीशन रिक्वेस्ट के लिए 80 रुपये का भुगतान किया गया।

मतदाता सूची से नाम काटने की कोशिश का यह मामला मतदाताओं को उनके अधिकारों से वंचित करने का प्रयास बताया गया है। चार्जशीट में प्रथम दृष्टया पुष्टि की गई है कि सुभाष गुट्टेदार ने धोखाधड़ी के इस कृत्य में प्रमुख भूमिका निभाई।

इसके अलावा, अक्टूबर में एसआईटी की छापेमारी के दौरान गुट्टेदार, उनके बेटे और सहायक ने चुनाव संबंधी दस्तावेज नष्ट करने की कोशिश की। जाँच जारी है और आगे अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल हो सकती हैं।

2018 में महज 697 वोटों से जीते थे गुट्टेदार

सुभाष गुट्टेदार आलंद से चार बार विधायक रह चुके हैं। दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस से। 2018 में भाजपा टिकट पर उन्होंने महज 697 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। 2023 के चुनाव में भाजपा से ही लड़ते हुए वे हार गए। कांग्रेस के बी आर पाटिल ने उन्हें 10,348 वोटों से हराया।

यह मामला कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ‘वोट चोरी’ के आरोपों से सुर्खियों में आया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने पहले इन आरोपों को खारिज किया था, लेकिन एसआईटी जांच में गड़बड़ी के सबूत मिले।

राजनीतिक साजिश का आरोप

सुभाष गुट्टेदार ने इन आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा, 'अगर ऐसा था तो 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार बी आर पाटिल कैसे जीते?' उन्होंने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया। उनके बेटे हर्षानंद ने शनिवार को कहा, 'यह हमारे खिलाफ रची गई साजिश है। 2023 में केस दर्ज हुआ लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। राहुल गांधी ने बिहार चुनाव से पहले मुद्दा उठाया, तब इस केस को प्रमुखता दी गई। यह बी आर पाटिल की साजिश है।' 31 अक्टूबर को बेंगलुरु की विशेष अदालत ने गुट्टेदार, उनके बेटे और टिप्पेरुद्रा को अग्रिम जमानत दे दी थी।

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि आलंद में वोट चोरी साबित हो गई है और चार्जशीट बीजेपी नेता के ख़िलाफ़ दाखिल हुई है। कांग्रेस इसे अपनी ‘वोट चोरी’ मुहिम की पहली जीत बता रही है।

यह मामला कर्नाटक की राजनीति में गरमाएगा। एसआईटी की जाँच से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। आगे और खुलासे हो सकते हैं।