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अमित शाह की गलतबयानी, मुसलमानों को आरक्षण कांग्रेस ने नहीं, JDS ने दिया

बीते 24 मार्च को कर्नाटक में सत्तारुढ़ बीजेपी सरकार ने मुसलमानों के लिए दिए गये चार प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया था। आरक्षण समाप्त करने के बाद मुसलमानों को ईडब्लयूएस कोटे  के अंतर्गत शिफ्ट कर दिया गया था।
बीते रविवार को कर्नाटक के दौरे पर पहुंचे अमित शाह ने मुस्लिम समुदाय को दिये गये चार प्रतिशत आरक्षण को हटाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की तारीफ की, और कहा कि यह कांग्रेस के तुष्टिकरण का नतीजा है जो मुसलमानों को संविधान से इतर आरक्षण दिया गया।
शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने भी नया आंतरिक आरक्षण लाकर अनुसूचित जातियों के साथ अन्याय को दूर करने की कोशिश की। भाजपा कभी भी तुष्टिकरण में विश्वास नहीं करती है। इसलिए आरक्षण में बदलाव का फैसला किया गया। भाजपा ने अल्पसंख्यकों को दिए गए 4% आरक्षण को समाप्त कर दिया और वोक्कालिगा को 2% और लिंगायतों को 2% देने की घोषणा की थी।
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अमित शाह के दावे के इतर वास्तविकता यह है कि मुसलमानों को यह आरक्षण 1994 में जेडीएस की सरकार द्वारा दिया गया था। उस समय एचडी देवैगौड़ा राज्य के मुख्यमंत्री थे। उस समय उन्होंने राज्य के मुसलमानों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आरक्षण की घोषणा की थी।
कांग्रेस ने रविवार को बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि अगर वह राज्य विधानसभा चुनाव जीतती है तो वह कर्नाटक में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची में श्रेणी 2 बी के तहत मुसलमानों को दिए गए 4% आरक्षण को बहाल करेगी। यह कहते हुए कि आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य नहीं था, सरकार ने राज्य के कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने इस कदम को असंवैधानिक करार दिया है।
शिवकुमार ने कहा, " बीजेपी सोचती है कि आरक्षण को संपत्ति की तरह वितरित किया जा सकता है। "यह संपत्ति नहीं है, यह अधिकार है। हम नहीं चाहते कि उनका 4% आरक्षण खत्म किया जाए और किसी भी प्रमुख समुदाय को दिया जाए। अल्पसंख्यक भी हमारे भाई और परिवार के सदस्य हैं। कांग्रेस ने यह भी कहा कि किसी भी जाति या धर्म का सदस्य अपनी आर्थिक स्थिति के आधार पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के तहत आरक्षण के हकदार होंगे।  उन्होंने पूछा कि भाजपा सरकार "मुस्लिम अल्पसंख्यकों को ईडब्ल्यूएस कोटा में स्थानांतरित करने" के झूठे दावे कर रही है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर ये पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय को नीचा दिखाने के लिए कोई कदम उठाया हो। इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिंमत विस्वा सर्मा ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने अपने राज्य में कई सैकड़ा मदरसों को बंद कर दिया है, और आगे भी करेंगे। उन्हें मदरसों से ज्यादा यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की जरूरत है।  
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इससे पहले टीपू सुल्तान को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की गई। हिंदू मुसलमान भाजपा की सबसे पसंदीदा चुनावी पिच है, जिसके सहारे वह कई चुनाव जीत चुकी है। ऐसे में मुस्लिम समुदाय को दिया गया चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म करना उसकी चुनावी रणनीति का हिस्सा है।   
अगले महीने होने जा रहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। राजनीतिक दलों ने अपने हिसाब से बिसात बिछानी शुरु कर दी है। इस मामले में तेजी दिखाते हुए बीजेपी ने कई महीने पहले से ही तैयारियां शुरु कर दी थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल की शुरुआत से ही कर्नाटक के दौरे कर रहे हैं, मोदी कर्नाटक में अब तक कम से कम आधा दर्जन रैलियां कर चुक हैं। इसके अलावा पार्टी अध्य़क्ष जेपी नड्डा, अमित शाह और बीएस येदियुरप्पा लगातार सक्रिय बने हुए हैं।
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क़मर वहीद नक़वी
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