कर्नाटक के बेलगावी जिले के हूलिकट्टी गांव में एक सरकारी स्कूल की पानी की टंकी में जहर डालने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है। इस साजिश का मकसद स्कूल के मुस्लिम प्रिंसिपल, सुलेमान को हटाना था। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिनमें श्रीराम सेना के तालुक अध्यक्ष सागर पाटिल और उनके सहयोगी नागनगौड़ा पाटिल और कृष्णा मदार शामिल हैं। इस घटना में 11 बच्चे बीमार पड़ गए, हालांकि सभी ठीक हो चुके हैं।
पुलिस जांच के अनुसार, पांचवीं कक्षा के एक नाबालिग छात्र को एक बोतल में हानिकारक पदार्थ देकर पानी की टंकी में डालने के लिए कहा गया। इस छात्र ने बताया कि उसे यह बोतल कृष्णा मदार ने दी थी। आगे की जांच में पता चला कि कृष्णा को सागर पाटिल और नागनगौड़ा पाटिल ने ब्लैकमेल करके इस काम के लिए मजबूर किया था। कृष्णा की अंतरजातीय प्रेम संबंध को उजागर करने की धमकी देकर उसे इस साजिश में शामिल किया गया। पुलिस के अनुसार, सागर पाटिल ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह स्कूल में मुस्लिम प्रिंसिपल के पद पर होने से नाराज थे और उन्हें हटाने के लिए यह कदम उठाया गया।
इस घटना ने सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश को उजागर किया है। सागर पाटिल, जो श्रीराम सेना नामक दक्षिणपंथी हिंदू संगठन के तालुक अध्यक्ष हैं, को इस साजिश का मुख्य सूत्रधार बताया गया है। तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर हिंदलगा जेल में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस ने बताया कि यह कृत्य न केवल प्रिंसिपल को निशाना बनाने के लिए था, बल्कि क्षेत्र में सांप्रदायिक अशांति फैलाने की योजना भी थी।
घटना के बाद पानी की टंकी से दूषित पानी पीने के कारण 11 बच्चे बीमार पड़ गए थे। सभी बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी स्थिति स्थिर हो गई और अब वे पूरी तरह ठीक हैं। पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस साजिश में और लोग शामिल थे।
इस घटना ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस सांप्रदायिक साजिश की कड़ी निंदा की है। एक एक्स पोस्ट में इसे "लोकतंत्र और सामाजिक सौहार्द पर हमला" बताया गया। विपक्षी दलों ने इस घटना को कर्नाटक में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव का उदाहरण बताया और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
यह घटना कर्नाटक में सांप्रदायिक सद्भाव और स्कूलों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही हैं। सरकार और प्रशासन से मांग की जा रही है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। श्रीराम सेना के लोग पहले भी कई तरह के आरोपों में पकड़े जा चुके हैं।