सुप्रीम कोर्ट केरल सरकार और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) द्वारा दायर उन याचिकाओं पर 21 नवंबर को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है, जिनमें राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग की गई है। इससे पहले डीएमके ने तमिलनाडु में, टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में और एडीआर ने पूरे देश में एसआईआर के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।  
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) बी.आर. गवई के सामने बुधवार (19 नवंबर, 2025) को केरल की याचिकाओं के बारे में जानकारी दी गई और फौरन सुनवाई की मांग की गई। इस पर चीफ जस्टिल ने अलग-अलग याचिकाओं को फौरन सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई और 21 नवंबर की तारीख दे दी।

संसाधनों पर भारी दबाव का तर्क 

केरल सरकार ने अदालत में तर्क दिया है कि एसआईआर की प्रक्रिया स्थानीय निकाय चुनावों (LSGI) के साथ टकरा रही है। राज्य का कहना है कि दोनों "बोझिल" कामों को एक साथ कराने से मानव संसाधनों पर भारी दबाव पड़ेगा और राज्य में "प्रशासनिक गतिरोध" पैदा हो सकता है। SIR प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक तय है। स्थानीय निकाय चुनाव 9 और 11 दिसंबर को होने हैं।
राज्य सरकार ने बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 1,76,000 सरकारी कर्मचारी और 68,000 पुलिस/सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाना है। इसके साथ ही, एसआईआर के लिए 25,668 अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। सरकार ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित कर्मचारियों को एक ही समय पर दोनों कार्यों में लगाना "लगभग असंभव" है, जिससे स्थानीय निकाय चुनावों के सुचारू संचालन पर असर पड़ेगा।
केरल सरकार और आईयूएमएल दोनों ने वर्तमान याचिकाओं में एसआईआर की संवैधानिकता को चुनौती देने के बजाय, एक ही समय पर दोनों प्रक्रियाओं के संचालन में आ रही तत्काल और व्यावहारिक समस्या को उजागर किया है।

चुनाव आयोग का दोहरा स्टैंड

चुनाव आयोग (ECI) ने असम (जहाँ 2026 में चुनाव होने हैं) में SIR को लागू करने से परहेज किया है। इसकी जगह, स्पेशल रिवीजन (SR) का आदेश दिया गया है। असम में नागरिकता के लिए विशिष्ट कानूनी प्रावधानों (NRC प्रक्रिया) के चलते यह निर्णय लिया गया। SR में BLOs घर-घर जाकर पहले से भरे हुए रजिस्टरों के आधार पर सत्यापन करेंगे, जबकि SIR में मतदाताओं को नए सिरे से फॉर्म भरकर दस्तावेज जमा करने होते हैं।

विपक्षी दलों कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), DMK और वाम दल SIR प्रक्रिया का कड़ा विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का सबसे बड़ा आरोप यह है कि SIR को जानबूझकर टारगेट वर्गों (मुस्लिम, दलित, आदिवासी) के नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए एक "साजिश" के रूप में डिज़ाइन किया गया है। विपक्ष इसे "वोट चोरी" बता रहा है।
कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि ECI इस गहन पुनरीक्षण के माध्यम से नागरिकता सत्यापन या राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसा काम कर रहा है, जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी यह बात उठी थी कि एसआईआर की आड़ में मतदाताओं की नागरिकता जांची जा रही है।


बंगाल में खुदकुशी

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया है कि एक आदिवासी महिला बीएलओ ने खुदकुशी कर ली। उनके परिवार ने कहा कि वो एसआईआर को लेकर काम के दबाव में थीं। ममता ने बंगाल में एसआईआर फौरन रोकने की मांग की है। बंगाल में बीएलओ के खुदकुशी की यह दूसरी घटना है। टीएमसी का आरोप है कि राज्य में एसआईआर की वजह से अभी तक 28 मौतें हो चुकी हैं।