loader

एमपी: ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे निकाय चुनाव

मध्य प्रदेश में पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। अगले सप्ताह भर में सरकार को इन चुनावों के लिए आरक्षण से जुड़ी तमाम औपरिकताएं पूरी करनी होंगी। प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षण की औपचारिकताएं पूरी करते ही राज्य निर्वाचन आयोग को सप्ताह भर में चुनाव की अधिसूचना जारी करनी होगी।

यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव से जुड़ी शिवराज सरकार की रिव्यू पिटीशन पर बुधवार को सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिवराज सरकार और मध्य प्रदेश बीजेपी अपने हाथों अपनी पीठ ठोक रही है। 

उधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस फैसले को लेकर एक बार पुनः सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रही है। कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश में 56 प्रतिशत के करीब अन्य पिछड़ा वर्ग है, सरकार ने समय रहते और सही तरीके से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा होता तो ओबीसी वर्ग के हितों पर कुठाराघात नहीं होता।

ताज़ा ख़बरें

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है, ‘पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनावों में किसी भी सूरत में कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी।’

संवैधानिक व्यवस्थाओं के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आज के निर्णय के बाद मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनावों में ओबीसी वर्ग को अधिकतम 14 प्रतिशत आरक्षण ही मिल पायेगा।

बता दें, मध्य प्रदेश में कमल नाथ की सरकार आयी थी तो उसने ओबीसी की आरक्षण की सीमा को 27 फीसदी करने का निर्णय लिया था। फैसला लागू हो पाता इसके पहले कमल नाथ की सरकार चली गई।

राज्य में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी और ओबीसी वर्ग से आने वाले शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री बनते ही नाथ सरकार के 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण वाले फैसले को पलट दिया था।

आरक्षण के मसले पर सियासत तथा कोरोना की वजह से स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं हो सके थे। चुनाव की तय तारीख और सीमा पार हो जाने के बाद भी ये टलते चले गए थे। 

OBC quota in Madhya Pradesh local body elections - Satya Hindi

चुनाव की स्थितियां बनीं तो ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गये। कांग्रेस कोर्ट में गई। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में उसकी याचिका खारिज हुई तो वह सुप्रीम कोर्ट चली गई।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट पेश करने को कहा। सरकार ने रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने रिपोर्ट को आधी-अधूरी और असंतोषप्रद करार देते हुए इसी माह (मई 22) के आरंभ में बिना ओबीसी आरक्षण के ही चुनाव करा लेने का आदेश देकर शिवराज सिंह सरकार और बीजेपी को करारा झटका दिया।

कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए थे कि अगले 15 दिनों में चुनाव प्रक्रिया आरंभ कर दे। चुनाव टालना ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शिवराज सरकार ने रिव्यू पिटीशन लगाई थी।
शिवराज सरकार की एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय दिया गया है। सरकार ने पहले करीब 950 पेजों के दस्तावेज कोर्ट के सामने रखे थे। नए आवेदन के बाद करीब 6 सौ पन्नों की रिपोर्ट पुनः पेश की।

इस मामले में पार्टी रहे राज्य निर्वाचन आयोग के वकील सिद्धार्थ सिंह ने निर्णय आने के बाद मीडिया को बताया, ‘सुप्रीम कोर्ट ने आज के अपने आदेश में कहा है, चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। एक सप्ताह में सरकार को आरक्षण संबंधी औपचारिकताएं पूरी करनी हैं। ओबीसी आरक्षण की औपचारिकताओं के बाद सप्ताह भर में आयोग को चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी होगी (दोनों कार्य कुल 15 दिनों में)।’

सवालों के जवाब में सिंह ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।’

मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष और कांग्रेस के नेता जेपी धनोपिया का कहना है, ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला भले ही सरकार की जीत नज़र आये, लेकिन सही यही है कि केवल 14 फीसदी आरक्षण ही ओबीसी वर्ग को मिल पायेगा।’

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने फैसले को सरकार के प्रयासों की जीत करार दिया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस तो बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव पर खुश थी। हमारी सरकार और बीजेपी को कठघरे में खड़ा कर रही थी। लेकिन कोर्ट के ताजा आदेश ने हमारी सरकार के प्रयासों को सार्थक कर दिया है। हम कोर्ट के आभारी हैं।’

मध्य प्रदेश से और खबरें

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा, ‘सरकार भले ही अपने हाथों अपनी पीठ ठोके, लेकिन सचाई यही है कि राज्य के 56 फीसदी ओबीसी वर्ग के हितों की शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सही तरीके से रक्षा नहीं की। ओबीसी वर्ग के साथ छल किया। हमने 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी को देने का फैसला लिया था। बीजेपी ने छल करते हुए उसे रोक दिया।’

नाथ ने कहा, ‘आज के फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका लगायेंगे।’

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजीव श्रीवास्तव
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

मध्य प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें