जो हार को जीत में बदल दे उसे बाज़ीगर कहते हैं!! यह फ़िल्मी डायलॉग बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता बड़े स्वाभिमान के साथ अपनी पार्टी के कुछ केंद्रीय नेताओं के लिए कहा करते थे लेकिन देश के एक महत्वपूर्ण राज्य में यह डायलॉग एकदम उल्टा पड़ गया। यहां बीजेपी नेता हारी बाज़ी जीते नहीं बल्कि जीती बाज़ी हार गए और वह भी कुछ ही दिनों के अंतराल में दो बार! क्या यह सब 'सत्ता के मद', 'हमको कौन रोक सकता है' के घमंड और 'जाएगा तो जाएगा कहां'! जैसी सोच की वजह से हुआ?
महाराष्ट्र: जीती बाज़ी हार गई बीजेपी, क्या केंद्रीय नेतृत्व सबक लेगा?
- महाराष्ट्र
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- 27 Nov, 2019

महाराष्ट्र के पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए कहा जा सकता है कि बीजेपी की इस स्थिति के लिए कोई और नहीं वह स्वयं जिम्मेदार है।
कुछ महीनों पहले तक अजेय दिखने वाली बीजेपी की यह दुर्दशा महाराष्ट्र में कैसे हुई, इसके विश्लेषण आने वाले समय में होते रहेंगे लेकिन एक बात साफ़ है कि इस हार के लिए बीजेपी नेताओं को किसी और की तरफ़ उंगली उठाने या उस पर आरोप लगाने की ज़रूरत नहीं है। पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए कहा जा सकता है कि बीजेपी की इस स्थिति के लिए कोई और नहीं वह स्वयं जिम्मेदार है और इस पर पार्टी के नेताओं को भी विचार करना चाहिए। लेकिन शायद वे अभी भी इस पर विचार करेंगे ऐसा लगता नहीं है। जिस तरह से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बयान दे रहे हैं, इन बयानों को सुनकर तो ऐसा बिलकुल नहीं लगता।