जैसी कि पहले से आशंका थी कोरोना वायरस और लॉकडाउन से लोगों की मानसिक स्वास्थ्य की दिक्कतें बढ़ेंगी, अब इसके आँकड़े भी आने लगे हैं। एक हेल्पलाइन पर दो महीने में 45 हज़ार लोगों ने संपर्क किया है।
अधिकतर मरीज़ों में दिखा था कि उन्हें पछतावा है और उनमें ग़ुस्सा है। उनमें अकेलापन, बेबसी, डिप्रेशन, अत्यधिक चिंता, फ़ोबिया यानी डर, चिड़चिड़ापन, नींद नहीं आना और पैनिक अटैक की भी समस्याएँ आईं।
52 फ़ीसदी जो फ़ोन आए उनमें एंज़ाइटी की दिक्कत थी। 22 फ़ीसदी लोग आसोलेशन को लेकर परेशान थे, 11 फ़ीसदी लोग डिप्रेशन में, 5 फ़ीसदी लोगों को नींद आने की दिक्कतें थीं और 4 फ़ीसदी लोग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी उनकी पुरानी बीमारी के फिर से लौटने को लेकर चिंतित थे।