जनता के अच्छे दिन भले ही नहीं आये हों और किसानों की उपज के दाम दोगुना न हुए हों, देश और प्रदेश की जीडीपी का ग्राफ़ भले ही घटकर नीचे आ गया हो लेकिन सरकार के मंत्रियों की संपत्ति कई गुना बढ़ गयी है। या यूं कह लें कि प्रदेश में 16 हज़ार से ज्यादा किसानों ने भले ही आत्महत्या कर ली हो, पिछले तीन साल से प्रदेश के अधिकाँश जिलों में सूखा पड़ा हो लेकिन महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के मंत्रियों के पिछले पांच साल बहुत मजे के रहे।