मुंबई पुलिस ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जारांगे पाटिल को मंगलवार 2 सितंबर को नोटिस देकर आजाद मैदान खाली करने को कहा है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को मनोज जरांगे पर कड़ी टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने आजाद मैदान के आसपास की सड़कें खाली करने का आदेश दिया था। उसके बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और पुलिस हरकत में आ गए। 
पुलिस ने मनोज जारांगे और उनकी कोर कमेटी को आज़ाद मैदान से धरना समाप्त करने का नोटिस देते हुए कहा कि आंदोलन ने तय शर्तों का उल्लंघन किया है। पुलिस के अनुसार, आंदोलनकारियों ने ट्रकों, कारों और भीड़ के जरिए सड़कों को जाम कर दिया है, जो अदालत के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
सोमवार देर रात, बीएमसी ने “डीप क्लीनिंग ड्राइव” चलाकर आज़ाद मैदान और उसके आसपास के इलाकों की सफाई की। बीएमसी के ठोस कचरा प्रबंधन विभाग ने इसके लिए बॉबकैट, दो मिनी कंप्रेसर और एक बड़े कंप्रेसर सहित कई मशीनें लगाईं। अधिकारियों ने बताया कि कर्मचारियों ने भी मशीनों के साथ मिलकर सफाई अभियान में भाग लिया। बीएमसी ने कहा कि वह क्षेत्र को पूरी तरह से साफ कर जनता के लिए खोलने का प्रयास जारी रखेगी।
ताज़ा ख़बरें

मंगलवार को आज़ाद मैदान के बाहर यातायात बुरी तरह प्रभावित रहा। दोनों ओर की सड़कों पर ट्रक, गाड़ियाँ और भीड़ जमी रही। इस बीच, कुछ समर्थक सामान समेटकर लौटने लगे, जबकि कुछ लोग अब भी डटे रहे। सुबह कुछ आंदोलनकारी सड़कों पर नाचते-गाते भी दिखे।

मराठा कोटा नेता अपने फैसले पर अडिग  

जारांगे का आज़ाद मैदान पर अनशन मंगलवार को पाँचवें दिन में पहुँच गया। उन्होंने साफ कहा कि वह मुंबई तभी छोड़ेंगे जब मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण मिल जाएगा। हाईकोर्ट की फटकार के बाद जारांगे, जो भूख और प्यास छोड़ने के चलते कमजोर नज़र आ रहे थे, ने समर्थकों से अपील की- “हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करो। मुंबईकरों को तकलीफ़ मत दो। सड़कों पर मत घूमो, गाड़ियाँ तय जगह पर खड़ी करो। जो मेरी बात नहीं मानना चाहते, वे अपने गाँव लौट जाएँ।”
गौरतलब है कि सोमवार को हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि मराठा आंदोलन ने मुंबई को “ठप्प” कर दिया है। अदालत ने कहा कि आंदोलनकारियों ने सिर्फ आज़ाद मैदान तक सीमित रहने की शर्त तोड़ी और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, चर्चगेट और मरीन ड्राइव जैसे अहम इलाकों को जाम कर दिया।

मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के 16% मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया था, क्योंकि यह 50% की आरक्षण सीमा को पार करता था। जरांगे की मांग है कि मराठाओं को कुनबी के रूप में मान्यता देकर ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जाए।