बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक अब लगभग दो साल बाद हुई, जबकि उसे हर तीसरे महीने होना चाहिए था। इसे नहीं करने का बहाना यह बनाया गया कि कोरोना महामारी के दौरान पार्टी के सैकड़ों सदस्य एक जगह कैसे इकट्ठे होते? एक जगह इकट्ठे होने के इस तर्क में कुछ दम नहीं है, क्योंकि जैसे अभी आडवाणी जी, जोशी जी और कई मुख्यमंत्रियों ने घर बैठे उस बैठक में भाग ले लिया, वैसे ही सारे सदस्य ले सकते थे।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर है बीजेपी का फ़ोकस
- विचार
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- 9 Nov, 2021

उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनाव अगले कुछ माह में ही होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोप से भेंट गोवा और मणिपुर के ईसाई वोटरों को फुसलाए बिना नहीं रहेगी और केदारनाथ यात्रा का असर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मतदाताओं पर पड़े बिना नहीं रहेगा।
नतीजों से बढ़ी चिंता
लेकिन अब आनन-फानन में यह बैठक कुछ घंटों के लिए बुलाई गई। यह बताता है कि हाल ही में हुए उप-चुनावों ने बीजेपी में चिंता पैदा कर दी है। यह कोई संयोग मात्र नहीं है कि नरेंद्र मोदी इतनी ठंड में गर्म कपड़े लादकर केदारनाथ गए और वेटिकन में जाकर पोप से गल-मिलव्वल करते रहे।
इन तीनों घटनाओं- कार्यकारिणी की बैठक, पोप से गल-मिलव्वल और केदारनाथ की प्रचारपूर्ण यात्रा- का सीधा संबंध पांच राज्यों के आगामी चुनावों से है।