मानसून के दौरान भारी वर्षा से ऊँचे बाँधों के जलाशयों में पानी का स्तर पहले तो ख़तरे के निशान तक पहुँचने दिया जाता है और फिर बिना इस बात की चिंता किए कि उससे और कितनी तबाही होगी सारे गेट एक साथ खोल दिए जाते हैं। कल्पना ही की जा सकती है कि तीन मई के बाद अगर मानवीय कष्टों से लबालब बाँधों के जलाशयों के दरवाज़े एकसाथ खोलने पड़ गए तो क्या होगा!
भारत इस समय दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन में है। इस लॉकडाउन में यह जो असंगठित मज़दूरों का सैलाब है वह एक अलग जनसंख्या बन गया है।