यदि यह क़ानून ज्यों का त्यों बन गया तो इसके लागू होने के पहले ही इसका असर होने लगेगा। इसके डर के मारे तोड़-फोड़ लगभग बंद हो जाएगी। यह क़ानून लोगों को सिखाएगा कि वे किसी भी मुद्दे पर अपना असंतोष, असहमति और क्रोध जरुर प्रकट करें लेकिन मर्यादा भंग न करें।
महात्मा गांधी का अहिंसक प्रतिकार भी इसी तरह का था। इस क़ानून को पास करने के पहले यह जरुरी है कि पक्ष और विपक्ष के विधायक इस पर गहन विचार-विमर्श करें और इसे सर्वसम्मति से पारित करें।